लोगों की राय

लेखक:

मधुकांत
मधुकांत

जन्म तिथि : 11.10.1949
आत्मज : स्व. श्री राम कुमार बंसल
शिक्षा : एम.ए. (अर्थशास्त्र),बी.एड.

पुरस्कार :
हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला के बाबू बालमुकुद गुप्त सम्मान से पुरस्कृत व अन्य कई संस्थाओं से सम्मानित।

प्रकाशित पुस्तकें :

उपन्यास
दूसरा निश्चय, गाँव की ओर (पुरस्कृत उपन्यास), लौटने तक (उपन्यास), नया सवेरा (उपन्यास)

कहानी संकलन
तनी हुई मुठ्ठियाँ (लघुकथा-संकलन), अध्यापक जीवन की कहानियाँ (कहानी संकलन), विद्यासागर जिंदा है (कहानी-संग्रह), एक टुकड़ा रोटी (कहानी-संग्रह), तरकश (लघुकथा-संग्रह), बी.सी.आर. बीमार है (पुरस्कृत कहानी-संग्रह), मास्टर जी (पुरस्कृत कहानी-संग्रह), ब्लैकबोर्ड (लघुकथा-संग्रह), ट्यूशन का सच (कहानी-संग्रह), नींद टूटने के बाद (लघुकथा-संग्रह), मेरी शैक्षिक लघुकथाएँ (लघुकथा-संग्रह), मेरी शैक्षिक कहानियाँ (कहानी-संग्रह),

नाटक-संग्रह
जग एक चिड़ियाघर (नाटक-संग्रह), ब्लड-बैंक (पुरस्कृत नाटक-संग्रह), चलो गाँव की ओर (नाट्य-रूपांतर), तीन बाल नाटक (बाल नाटक), कन्या भ्रूण का शाप (नाटक-संग्रह), महादान (बाल नाटक), मेरे शैक्षिक नाटक (नाटक-संग्रह),

कविता-संग्रह
निम्मो अनुत्तीर्ण क्यों? (कविता-संग्रह), मेरी शैक्षिक कविताएँ (कविता-संग्रह),

निबंध
परीक्षा क्यों? (निबंध),

व्यंग्य-संग्रह
ख्यालीराम कुँआरा रह गया (व्यंग्य-संग्रह),

सम्प्रति :
1. स्वतन्त्र लेखन, 2. सेवानिवृत्त शिक्षक, शैक्षिक साहित्यिक पत्र प्रज्ञालु' का सम्पादन, प्रकाशन, 3. प्रज्ञा साहित्विक मंच के अध्यक्ष, 4. 'ब्लड-बैंक चलचित्र का फिल्मांकन।

सम्पर्क सूत्र :
अनूप बंसल 'मधुकांत'
211 एल, मॉडल टाऊन,
रोहतक (हरियाणा)
मो. : 9896667714

एम्पटी फ्रेम

मधुकांत

मधुकांत के कहानी संग्रह का अंग्रेजी अनुवाद

  आगे...

तिरंगा हाउस

मधुकांत

समकालीन कहानी संग्रह

  आगे...

मूछोंवाली

मधुकांत

‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

  आगे...

स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।

  आगे...

हौसला

मधुकांत

नि:शक्त जीवन पर 51 लघुकथाएं

  आगे...

 

   5 पुस्तकें हैं|