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श्रीगणेशचालीसा

राम सुन्दर दास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :9
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9726

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गणेश स्तुति

भारतीय संस्कृति के सभी देवी-देवताओं में सबसे प्रथम देव श्रीगणेश जी का पूजन अर्चन किया जाता है। श्री गणेश जी की महिमा सभी वेदों और धर्मग्रन्थों में प्रमुख रूप से संस्कृत भाषा में वर्णित है।

सरल हिन्दी भाषा में उनकी आराधना करने के लिये सबसे आसान उपाय है श्रीगणेश चालीसा।

श्रीगणेश चालीसा का नित्य पाठ करने से भगवान गणेश जी की कृपा शीघ्र ही प्राप्त हो जाती है।



।।श्री गणेश चालीसा।।


दोहा
जय गणपति सद्गुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करन, जय जय गिरिजालाल।।1

चौपाई

जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभ काजू।।2

जय गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायक बुद्धि विधाता।।3

वक्रतुण्ड शुचि शुन्ड सुहावन।
तिलक त्रिपुन्ड भाल मन भावन।।4

राजित मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला।।5

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। 
मोदक भोग सुगन्धित फूलं।।6

सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित।।7

धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।
गौरी ललन विश्व-विधाता।।8

ऋद्धि सिद्धि तव चँवर सुधारे।
मूषक वाहन सोहत द्वारे।।9

कहौं जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
अति शुचि पावन मंगलकारी।।10

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