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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन

मोहनदेव-धर्मपाल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :187
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9809

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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन-वि0सं0 700 से 2000 तक (सन् 643 से 1943 तक)

रचनाएँ

प्रेमचंद जी ने कुल मिलाकर तीन सौ कहानियाँ, ग्यारह उपन्यास, तीन जीवनियाँ, आठ विभिन्न भाषाओं से अनूदित ग्रंथ, अनेक आलोचनात्मक तथा विविध विषयों के निबंध, तीन नाटक और बहुत-सा शिशु-साहित्य देकर हिन्दी-साहित्य की श्रीवृद्धि में महत्वपूर्ण योग दिया।

कहानियाँ- मानसरोवर के आठ भागों में उनकी सब कहानियों संकलित हैं। 'ईदगाह', 'कफन', 'अलग्योझा', 'शतरंज के खिलाड़ी',  'आत्माराम', 'मुक्ति का मार्ग', 'बेटी का धन', 'बड़े घर की बेटी',  'डिग्री के रुपये', 'पंचपरमेश्वर', 'शंखनाद', 'दुर्गा का मंदिर', 'रानी सारन्धा', 'राजा हरदौल', 'मंदिर और मस्जिद', 'नमक का दारोग़ा',  'मंत्र', 'कामना-तरु', 'सुजानभगत', 'ईश्वरीय न्याय' ये उनकी सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ गिनी जाती हैं। प्रेमचंद जी जितने बड़े उपन्यासकार थे उतने ही बडे कहानीकार भी। उनकी कहानियों में जीवन के अनेक रूप, समाज के अनेक चित्र और मनोविज्ञान के अनेक पहलू अंकित हुए हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जिस पर प्रेमचंद जी की प्रतिभा ने अपना चमत्कार न दिखाया हो। अनेक छोटी-मोटी समस्याओं का इन कहानियों में समाधान करने का प्रयत्न किया गया है। 'रामलीला' कहानी में पाखंड पर चोट की गई है। 'सभ्यता की पोल' में बताया गया है कि जिस काम को करने पर कोई छोटा आदमी दुष्ट समझ लिया जाता है उसी को कोई बड़ा कर बैठे तो कोई कुछ नहीं कहता। 'उद्धार' में दहेज-प्रथा की भयंकरता दिखाई गई है। 'मोटर के छींटे', 'सत्याग्रह' आदि में हास्य-व्यंग्य की पुट है। 'आत्माराम' कहानी को-जिसमें कंसूस महादेव सुनार को डाकुओं का धन पाकर उदार बनने की कथा के साथ-साथ उसका आत्माराम नामक तोते पर प्रगाढ़ प्रेम दिखाया गया है-प्रेमचन्दजी ने अपनी सर्वश्रेष्ठ कहानियों में गिना है। 'दण्ड' नामक कहानी में अफसरों की रिश्वतखोरी और मुकदमेबाजी का चित्र खींचा गया है। 'पंच परमेश्वर' में पंचायत-प्रथा की महत्ता बताई गई है। 'बड़े घर की बेटी' में संयुक्त परिवार का वर्णन किया गया है। 'शतरंज के खिलाड़ी' में लखनवी नवाबों के ठाट-बाट और शतरंज के भयंकर परिणामों को दिखाया गया है। 'अमावस्या की रात्रि' और 'मंत्र' में डाक्टरों और वैद्यों की स्वार्थमय प्रवृत्ति तथा गरीब जनता की सात्विकता का चित्र अंकित किया गया है। 'सत्याग्रह', 'विनोद', 'मोटेराम की डायरी' और 'बूढ़ी काकी', सुन्दर हास्यरस की कहानियाँ हैं।

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