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लेखक:

गुलशन नंदा
(मृत्यु 16 नवम्बर 1985)


हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार तथा लेखक थे जिनकी कहानियों को आधार रख 1960 तथा 1970 के दशकों में कई हिन्दी फ़िल्में बनाई गईं और ज़्यादातर यह फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस में सफल भी रहीं। उन्होंने अपने द्वारा लिखी गई कुछ कहानियों की फ़िल्मों में पटकथा भी लिखी। उनके द्वारा लिखी गई कुछ हिट फ़िल्मों के नाम हैं- काजल, पत्थर के सनम, कटी पतंग, खिलौना, शर्मीली इत्यादि हैं।

इसके आलावा उनके लिखे कुछ उपन्यासों के नाम हैं - अजनबी, अन्धेरे चिराग, कटी पतंग, आसमान चुप है, कलंकिनी, प्यार की प्यास, काँच की चूड़ियाँ, काली घटा, एक नदी दो पाट, गुनाह के फूल, गेलार्ड, घाट का पत्थर, चिनगारी, जलती चट्टान, झील के उस पार, टूटे पंख, डरपोक, तीन इक्के, तीन रंग, देव छाया, नीलकंठ, पत्थर के होंठ, पिंजरा, प्यासा सावन, भँवर, माधवी, मेंहदी, मैं अकेली, रूपमती, वापसी, सांवली रात, राख और अंगारे, सितारों से आगे, सिसकते, सूखे पेड़ सब्ज़ पत्ते आदि।

एक नदी दो पाट

गुलशन नन्दा

'रमन, यह नया संसार है। नव आशाएँ, नव आकांक्षाएँ, इन साधारण बातों से क्या भय।

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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।

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कलंकिनी

गुलशन नन्दा

यह स्त्री नहीं, औरत के रूप में नागिन है…समाज के माथे पर कलंक है।

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काँच की चूड़ियाँ

गुलशन नन्दा

एक सदाबहार रोमांटिक उपन्यास

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घाट का पत्थर

गुलशन नन्दा

लिली-दुल्हन बनी एक सजे हुए कमरे में फूलों की सेज पर बैठी थी।

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जलती चट्टान

गुलशन नन्दा

हिन्दी फिल्मों के लिए लिखने वाले लोकप्रिय लेखक की एक और रचना

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नीलकण्ठ

गुलशन नन्दा

गुलशन नन्दा का एक और रोमांटिक उपन्यास

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राख और अंगारे

गुलशन नन्दा

मेरी भी एक बेटी थी। उसे जवानी में एक व्यक्ति से प्रेम हो गया।

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वापसी

गुलशन नन्दा

सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास

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   9 पुस्तकें हैं|