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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

बीमारी में मदद


स्कूल में राजू ने देखा कि कई दिन से बीरू उसे दिखाई नहीं दे रहा है। आज स्कूल से सीधे उसके घर जाने का फैसला किया। वह स्कूल से सीधे उसके घर पहुंचा और उसने आवाज लगाई तो बीरू बाहर आया। राजू ने देखा कि बीरू थोड़ा कमजोर लग रहा था, राजू को देखते ही वो मुस्कुराने की कोशिश करता हुआ बोला, "अरे राजू, आओ, अन्दर आओ।"

राजू अन्दर गया तो देखा वहाँ बीरू की माँ भी नहीं थी। राजू ने पूछा, "आंटी जी कहाँ है?"

तो उसपर राजू थोड़ा परेशान होता हुआ बोला, "यार राजू, मेरे पापा बहुत बीमार हैं और वो हॉस्पिटल में भर्ती हैं। माँ भी उन्हीं के साथ है।"

राजू बोला, "तभी तुम स्कूल नहीं आ रहे। इतनी बड़ी बात है और तुमने मुझे बताया भी नहीं।"

बीरू बोला, "मैं बताने ही वाला था कि आज तुम आ गए।"

राजू बीरू से बोला, "मैं तुम्हारे साथ हूँ, सब ठीक हो जायेगा।"

इतना कहने पर बीरू रोने लगा और बोला, "राजू, मेरे पापा को डेंगू हुआ है। डॉक्टर भी उनको ठीक नहीं कर पा रहे।" तो राजू ने उसे दिलाशा दी कि तुम चिंता मत करो, आओ हम अभी हॉस्पिटल चलते हैं।

राजू अपने घर से कपड़े बदल कर आया और अपनी माँ से बोला, "माँ, मैं बीरू के साथ उसके पापा को देखने हॉस्पिटल जा रहा हूँ।"

माँ ने स्वीकृति दी तो राजू तुरंत बीरू को साथ लेकर हॉस्पिटल पहुँचा। वहाँ देखा कि उसके पापा को आई सी यू में रखा हुआ है और उसकी माँ बाहर बैठी रो रही थी। राजू और बीरू को देख कर उन्होंने अपने आंसू पोंछे और बोली, "तुम लोग क्यों आ गए। घर पर ही रहना चाहिए, तुम्हारी दीदी अकेली होगी।"

बीरू बोला, "माँ हम बस अभी चले जायेंगे।"

राजू ने बीरू की माँ से पूछा कि डॉक्टर क्या कह रहे हैं तो वो बोली, "राजू, डॉक्टर कहते हैं कि उन्हें खून चढ़ाना होगा क्योंकि इनके प्लेटलेट्स ज्यादा ही कम हैं और हॉस्पिटल में बी पॉजिटिव ग्रुप का खून भी नहीं है। वो कहते हैं कि आज शाम तक खून लाओ वर्ना इनकी जान को खतरा हो सकता है।"

बीरू भी अब रोने कि स्थिति में आ गया था लेकिन राजू ने उसे और उसकी माँ को सांत्वना दी कि हम लोग आज शाम तक खून का इंतजाम कर लेंगे आप घबराओ मत।

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