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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

भिखारी


"बाबा, कुछ खाने को दे दो" भिखारी ने बाहर से आवाज लगाई तो राजू भाग कर बाहर आया और उसने भिखारी को अपनी पॉकेट मनी में से दस रुपये निकाल कर दिए।

अन्दर बैठे उसके पापा ये सब देख रहे थे वो राजू से बोले, "बेटा, ये तुमने क्या किया?" तो राजू बोला, "पापा, मैंने उस भिखारी की मदद की है, वह मेरे दिए पैसों से खाना खा लेगा और बड़ा खुश होगा।"

पापा गंभीर होते हुए बोले, "राजू, तुमने तो मानवता के नाते अपना फर्ज निभा दिया लेकिन तुमने देखा वह व्यक्ति किसी भी साइड से भिखारी नहीं लग रहा था।"

राजू बोला, "मैं समझा नहीं पापा।"

उसके पापा ने कहा, "राजू, तुमने देखा वो न तो अपाहिज था न ही बूढ़ा था और ना ही गरीब। वो पूरी तरह से स्वस्थ था और तुमसे भिखारी का बहाना कर के पैसे ले गया। इस तरह से तुमने उसे निकम्मा बना दिया। यदि तुम उसकी सहायता ही करना चाहते थे तो उसे खाने के लिए कुछ देते और मैं दावे के साथ कहता हूँ कि वो खाने के लिए कुछ नहीं लेता, बस पैसे की ही मांग रखता।"

राजू ने इस तरह से देखा जैसे उसे कुछ भी समझ नहीं आया हो। राजू के पापा ने उसकी तरफ देख कर बोला, "नहीं समझ में आया।"

राजू ने ना में सिर हिलाया। उसके पापा उसकी तरफ थोड़ा आगे झुक कर बोले, "राजू हम उसे भिखारी समझ कर उसे पैसे देते हैं और वही पैसा उसे निकम्मा बना रहा है। वो इतना स्वस्थ और तगड़ा था कि कमा कर भी खा सकता है लेकिन ये अब उसकी आदत हो गई है कि कोई ना कोई तो उसे पैसे दे ही देगा और वो उस पैसे से शाम को शराब पिएगा।"

राजू को बात थोड़ी समझ में आ रही थी वो बोला, "इसका मतलब हमें भिखारियों को कुछ नहीं देना चाहिए।" तो इस पर पापा बोले, "मैं ये नहीं कह रहा लेकिन भिखारी को देख कर कुछ देना चाहिए और हो सके तो उसे पैसे की जगह खाना देना चाहिए।"

राजू को बात समझ में आ गई थी कि हम भिखारी को पैसा दे कर उसे निकम्मा कर देते हैं और जिसके कारण वह आलसी हो जाता है और काम करने की जगह भीख माँगने लगता है। राजू ने भी पापा की बात को समझ लिया था और उसने प्रण किया कि किसी जरूरत मंद की ही सहायता करेगा और वो भी खाना देकर ना कि पैसे देकर।

अगले दिन वही भिखारी फिर आया तो राजू ने उसे घर के दरवाजे पर ही रुकने को कहा और अन्दर से रोटी और सब्जी लेकर आया और उसे देने लगा तो उसने उसे लेने से मना कर दिया । इसपर राजू बोला, "बाबा, अब पैसे तो नहीं मिलेंगे यदि खाना, खाना है तो पेट भर के खा लो।"

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