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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

सच्ची दिवाली


दिवाली आने वाली थी और राजू बहुत खुश था। उसे बहुत सारे पटाखे, मिठाईयां व उपहार मिलने वाले थे, हर बार की तरह। उसने अपने उपहारों की लिस्ट पहले ही अपने पापा को दे दी थी और उन्होंने उसे देने का वादा भी किया था। जैसे जैसे दिवाली के दिन नजदीक आ रहे थे राजू और भी ज्यादा खुश हो रहा था। प्रत्येक दिन राजू अपने दोस्तों से अपने मिलने वाले उपहारों के बारे में बात करता रहता था।

एक दिन राजू अपनी स्कूल बस से घर की तरफ आ रहा था और बस एक ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी तो उसने देखा कि एक भिखारी सा दिखने वाला बुजुर्ग अपने छोटे बच्चे को मार रहा था और उससे कहता जा रहा था, "और लेगा पटाखे और मिठाई, पैसे तो है नहीं और इसे ये सब चाहिए।"

छोटा बच्चा रोता जा रहा था और उसकी पिटाई से बचने की कोशिश भी करता जा रहा था। आखिर में थक कर वह भिखारी भी रुक गया और एक तरफ बैठ गया।

राजू ने उस भिखारी से पूछा, "क्या बात है बाबा, तुम इस बच्चे को क्यों मार रहे हो?"

वह बोला, "क्या करूं बेटा, हम वैसे ही भीख मांग कर गुजारा कर रहे हैं और ये मेरा बेटा दिवाली के लिए पटाखे और मिठाई मांग रहा है। हमारा पेट ही बड़ी मुश्किल से भरता है और हम इसके लिए ये सब चीजे कहाँ से लायें?"

राजू ने कहा, "बाबा, लेकिन इतनी सी बात के लिए बच्चे को पीटना तो नहीं चाहिए?"

वह भिखारी थोड़ी देर चुप रहा और बोला, "बेटा, जब तुम्हें ये चीज न मिले तो पता चले।" इतनी बात कह कर भिखारी भीख मांगने के लिय एक रुकी हुई गाड़ी की तरफ बढ़ गया।

राजू उसकी बात सुनकर थोड़ा चुप रहा। उसने मन ही मन सोचा कि ये भिखारी बाबा कह तो ठीक ही रहा है क्योंकि हम समृद्ध हैं इसलिए मेरे पापा ये सब चीजें उसे लाकर दे देते हैं, यदि हम भी इनकी तरह गरीब होते तो ये सब उसे नहीं मिलता।

इतने में सिग्नल ग्रीन हो गया और उसकी स्कूल बस आगे बढ़ गयी लेकिन राजू अभी भी उस रोते हुए बच्चे को देख रहा था। जब वह घर पहुँचा तो काफी दुखी था। उसको दुखी देख कर उसकी माँ ने पूछा, "क्या बात है राजू दुखी हो?"

राजू ने कहा कि माँ इस दुनिया में सब लोग सुखी क्यों नहीं हैं?

इस पर माँ ने पूछा, "क्या बात है, कुछ हुआ है क्या?"

इस पर राजू बोला, "माँ, आज मैंने एक छोटे बच्चे को पटाखों और मिठाई के लिए उसके पिता से पिटते हुए देखा। माँ, क्या कोई माँ बाप अपने बच्चे को मिठाई व पटाखे भी नहीं दिला सकते?"

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