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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

राजू के पापा थोड़े आश्वस्त हुए और वो शर्मा जी के घर राजू के साथ पहुंचे। उन्होंने शर्मा जी को इसके बारे में बताया तो वे थोड़े आश्वस्त हुए। उन्होंने मोनू की एक फोटो राजू के पापा को दी तो उन्होंने उसकी फोटो अपने मोबाइल से ली और उसको सारे एप्प्स पर डाल दी और अपने सारे दोस्तों से मोनू को ढूँढने में मदद करने को कहा।

समय बीता और दो दिन बाद राजू के पापा के फेसबुक पर किसी आदमी ने मैसेज छोड़ा कि मोनू की फोटो से मिलता जुलता एक बच्चा हरिद्वार के एक आश्रम में है। तुरंत ही शर्मा जी और राजू के पापा ने टैक्सी की और हरिद्वार की तरफ चल दिए।

वे जब आश्रम में पहुंचे तो देखा कि मोनू ही था और बहुत उदास था। लेकिन मोनू अपने पापा को देखकर बड़ा खुश हुआ और भाग कर उनकी गोदी में चढ़ गया। शर्मा जी और राजू के पापा बड़े खुश हुए। राजू के पापा ने अपने फेसबुक से सबको मोनू को ढूँढने में मदद करने पर धन्यवाद दिया। जिस आदमी ने मोनू का पता बताया था उसे शर्मा जी ने मोबाइल से बात करके अलग से शुक्रिया किया। लेकिन शर्मा जी ने उसी समय राजू को उसकी माँ के फोन के द्वारा आशीर्वाद दिया और कहा, "राजू बेटा, यदि तुम ये आइडिया नहीं देते तो शायद हम मोनू को ढूंढ़ नहीं पाते। राजू के पापा भी गर्व से खुश थे।

राजू ने एक बार फिर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल एक अच्छे काम के लिए किया था। राजू मोनू के मिल जाने पर बहुत खुश था।

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