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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

माँ इसका मतलब है कि शादी के बाद भी बेचारे लड़की वाले लड़के वालों को कुछ ना कुछ देते ही रहेंगे ये तो गलत बात है हमें इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। राजू तभी मैं तुमसे कह रही थी कि ये बड़ों की बातें हैं तुम्हें इस तरफ ध्यान नहीं देना चाहिए। तुम्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए, जाओ अपने कमरे में जाकर पढो।"

इस पर राजू फिर बोला, "माँ, इसका मतलब कोई बेचारा गरीब हो वो तो केवल लड़की के ससुराल वालों को ही कमाकर देता रहेगा।"

इसपर माँ बोली, "बेटा, ये तो समाज का दस्तूर है इसे निभाना ही पड़ेगा।"

राजू बोला, "माँ, लेकिन ये तो गलत प्रथा है इसको बंद करना चाहिए।"

माँ थोड़ी तेज बोली, "राजू तुम जाकर अपनी पढ़ाई करो, चलो।"

माँ की बात सुनकर राजू मन मारकर अपने कमरे में आ गया लेकिन उसका मन पढ़ाई में नहीं था। वो तो केवल ये सोच रहा था कि बेचारी सुषमा आंटी कैसे भात के पैसे और कार देगी। उसका मन कर रहा था कि उसे सुषमा आंटी की मदद करनी चाहिए। उसने कुछ सोचा और पढ़ाई में लग गया।

राजू सुषमा आंटी को अच्छी तरह से जानता था। वो बहुत अच्छे स्वभाव की महिला थी। उनकी बेटी कमला को वो दीदी कहकर बुलाते थे और उसकी ससुराल भी पास में ही थी।

सुबह राजू स्कूल जाने के लिए निकला और रास्ते से अपने एक मित्र अमित को लिया और कमला दीदी के ससुराल की तरफ चल दिए। वो सीधा कमला के घर पहुँचे और देखा कि कमला के ससुराल वाले काफी धनी थे। उनके बरामदे में पहले से ही कार मौजूद थी लेकिन फिर भी वो भात में कार मांग रहे थे। इसका मतलब वो लालची थे और उनको सिर्फ पैसों से ही लगाव था। वो अन्दर गए और कमला दीदी से मिले तो वो समझ गए कि वो लोग कमला पर भी कार लाने का दवाब बना रहे थे और कमला दीदी भी कुछ ना करने कि स्थिति में थी।" वे जल्दी से वहाँ से विदा हुए और बाहर आकर राजू ने सोचा कि कमला के ससुराल वालों को सबक सिखाना चाहिए ताकि ये लोग भात में कार और ज्यदा पैसा न मांगें और साथ ही कमला का कोई अहित भी न हो।"

वो घर पहुंचे और शाम को अपने पापा को एक योजना बताई जिससे कि कमला के ससुराल वाले भात भी नहीं लेंगे और कमला का घर भी नहीं टूटेगा। फिर राजू के पापा उसको साथ लेकर सुषमा आंटी के घर पहुंचे। उन्होंने योजना के बारे में उन्हें बताया पहले तो वे ना-नुकर करने लगीं लेकिन बाद में उनके समझाने के बाद वो भी मान गई।

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