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जीवनी/आत्मकथा >> अकबर

अकबर

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10540

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धर्म-निरपेक्षता की अनोखी मिसाल बादशाह अकबर की प्रेरणादायक संक्षिप्त जीवनी...


मुर्तजा हुसैन बिलग्रामी की पुस्तक हदिकतुल अकालीम में दर्ज अकबर के जन्म की कहानी उसके बादशाह बनने के बाद बड़ी प्रचलित हुई। इसमें कहा गया था कि अकबर पूर्व जन्म में मुकुंद ब्रह्मचारी नामक एक संन्यासी था जिसने प्रयाग में इस उद्देश्य से तपश्चर्या की थी कि वह अगले जन्म में शक्तिशाली क्षत्रिय राजा के रूप में पैदा हो और भारत में जड़ जमा रहे इस्लाम को जड़ से उखाड़ फेंके। दुर्भाग्यवश तप में किसी तरह की त्रुटि रह जाने के कारण उसने एक मुसलमान परिवार में जन्म लिया। तथापि पूर्व संस्कारों के कारण अकबर एक हिंदू राजा की भांति व्यवहार करता रहा और हिंदुओं व हिंदू धर्म और संस्कृति को पूर्ण संरक्षण देता रहा।

यह कहानी भले ही अतिकथा लगे परंतु इसे गढ़ने के ठोस आधार मौजूद थे। अकबर ने हिन्दू-कन्याओं से शादियां की, हिंदुओं को अपनाया, उन्हें सुविधाएं दीं, उन पर लगे कर माफ किए, उन्हें ओहदे दिए, हिंदुओं और मुसलमानों को बराबर का दर्जा दिया, हिंदी भाषा को संरक्षण दिया। हिंदुत्व की ओर झुकाव देखकर एक आधुनिक इतिहासकार ने यहां तक टिप्पणी की है कि अगर हिंदू पंडितों और राजाओं में इतनी उदारता होती कि वे एक मुलसमान राजा को हिंदू धर्म में दीक्षित करने के लिए तैयार हो जाते और उस समय प्रचलित मूर्ति-पूजा, जिसका अकबर विरोधी था, और जात-पांत दूर करने की चेष्टा करते तो संभव था कि अकबर हिंदू धर्म ग्रहण कर लेता। यह मत मान्य नहीं है क्योंकि अकबर हिंदुत्व और इस्लाम दोनों का प्रेमी था परंतु उसे धार्मिक कट्टरता से घृणा थी। वह हिंदू धर्म के साथ-साथ कई अन्य धर्मों की ओर झुका, उनके संस्कार अपनाएं फिर भी इस्लाम के तौहीद (एकेश्वरवाद) को कसकर पकड़े रहा। लेकिन यह सब बाद की बातें हैं। अभी हम बालक अकबर की ओर ही ध्यान दें।

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