लोगों की राय
पढिए सत्य और न्याय की खोज करने वाले सुकरात जैसे महामानव की प्रेरक संक्षिप्त जीवनी जिसने अपने जीवन में एक भी शब्द नहीं लिखा- शब्द संख्या 12 हजार...
अब रहा दूसरा आरोप। यूनानी धर्म अत्यंत जटिल था। देवताओं की संख्या निरंतर बढ़ती रहती थी। धर्म के निश्चित सिद्धांत भी नहीं थे। अतः अधर्म (असैविया) की अवधारणा अनिश्चित होने के कारण उसकी परिभाषा भी प्रत्येक मामले में जूरी पर निर्भर रहती थी। जूरी ही निर्णय करती थी कि आरोप दंडनीय है अथवा नहीं।
जहां तक नए देवताओं का प्रश्न है एथेंस में ऐसे देवताओं को देवमंडल में सम्मिलित किया जा रहा था जो यूनान के नहीं थे और राजकीय आदेश से उनके मंदिर बनवाए जा रहे थे। थ्रेसियन देवता बेंडिस तथा फ्रीजियन देवी सिबीली के मंदिर बनाए गए थे। एसक्लेपिअस भी बाहरी देवता था। यदि इन नए देवताओं की पूजा अपराध नहीं था तो सुकरात का मामला अपवाद क्यों? ऐसा कहा जाता है कि सुकरात अपने भीतर विद्यमान किसी देव को इंगित करते थे जिससे उसकी निरंतर बातचीत होती थी। यह देव उन्हें गलत मार्ग पर जाने से रोकता था। सुकरात का स्पष्ट रूप से कहना था कि उनमें ईश्वर का प्रवेश है जिससे उनका प्रत्यक्ष संवाद रिनंतर होता रहता है। किंतु वह समाज जहां शकुन-अपषकुन, भविष्यवाणी और देवताओं की इच्छा प्रकट करने वाले पुजारियों के व्यवसाय ने जन्म ले लिया हो वहां सुकरात द्वारा अपने भीतर की घोषणा करना अभियोग का आधार नहीं लगता। पूरा एथेंस जानता था कि खड़े हुए, बैठे हुए या चलते हुए कहीं भी किसी भी स्थिति में सुकरात समाधि में चले जाते हैं जिसमें उन्हें दिव्य संकेत मिलते थे। तथापि उन्होंने किसी देवी या देवता को न तो नकारा न उनकी अवमानना की।
जन न्यायालय ने सुकरात से पूछा कि क्या वे अपना मार्ग बदल सकते हैं तब सुकरात ने कहा, ‘‘जिस प्रकार जलदेवी थेतिस की भविष्यवाणी के पश्चात भी अकिलीज (होमर के काव्य ग्रंथ इलियड का एक पात्र) ने अपना आचरण नहीं बदला तथा जीने की अपेक्षा युद्ध में वीरगति प्राप्त करना अधिक श्रेयस्कर समझा उसी प्रकार मैं भी अपने आदर्श परिवर्तित नहीं कर सकता भले ही मुझे जीवन से हाथ धोना पड़े।’’
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai