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जीवनी/आत्मकथा >> सुकरात

सुकरात

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :70
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10548

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पढिए सत्य और न्याय की खोज करने वाले सुकरात जैसे महामानव की प्रेरक संक्षिप्त जीवनी जिसने अपने जीवन में एक भी शब्द नहीं लिखा- शब्द संख्या 12 हजार...


उत्साहित जेलर ने कहा, ‘‘अवश्य। बात उस समय की है जब क्रीट देश पर मिनोस नाम राजा राज्य करता था। उसकी जल सेना संसार में सबसे सुदृढ़ थी। उसी के बल पर उसने एथेंस को अपने अधिकार में ले रखा था। मिनोस का विवाह सूर्य पुत्री पासिफै के साथ हुआ था। पोसीदोन देवता की कृपा से समुद्र से निकले एक श्वेत-वृषभ पर पासिफै अत्यंत आसक्त थी। एथेंस से भागकर निमोस की शरण में आए श्रेष्ठ शिल्पी दैदालोस ने पासिफै और श्वेत-वृषभ के बीच अप्राकृतिक संबंध सुगम बनाए। पासिफै ने एक विचित्र प्राणी को जन्म दिया जिसका नाम मिनोतोर (मिनोस का वृषभ) रखा गया। राजा के डर से शिल्पी दैदालोस ने पंखों का निर्माण किया और उड़कर सिसली पहुंच गया जहां के राजा कोकालोस की पुत्रियों द्वारा वह मारा गया। मिनोतोर नरभक्षी था अतः उसे एक तहखाने में रखा गया। एथेंस के शिल्पी के कुकृत्य के कारण एथेंस पर दंड लगाया गया कि वह प्रतिवर्ष सात युवक और सात युवतियां मिनोतोर की भूख मिटाने के लिए भेजे। यह सिलसिला चालू हो गया। एक बार मिनोतोर के भोजन हेतु युवकों को भेजे जाने के समय एथेंस के राजा अएगेन्स के पुत्र थीसिअस (थीसैव्स) ने आग्रह किया कि उसे भी युवकों के दल में सम्मिलित कर लिया जाए। क्रीट पहुंचने पर थीसिअस का प्रेम मिनोस की पुत्री अरिआदनी से हो गया। थीसिअस ने अपोलो देवता से प्रार्थना की कि यदि वह मिनोतोर को मारने में सफल होता है तो वह यहां प्रतिवर्ष एथेंस से धर्म प्रचार मंडल भेजेगा। अपोलो की कृपा से और राजकुमारी अरिआदनी की सहायता से मिनोतोर मारा गया। तब से प्रतिवर्ष हमारे यहां से धर्मप्रचारक जहाज से क्रीट जाते हैं। जहाज के प्रस्थान करने से लौट आने की अवधि एक माह है।’’

सुकरात ने विनम्रता से कहा, ‘‘आपने इतना सुंदर आख्यान सुनाकर मेरे ज्ञान में वृद्धि की है, इस हेतु धन्यवाद। क्या आप मेरे लिए लेखन सामग्री का प्रबन्ध कर सकते हैं?’’

‘‘आपनी प्रत्येक इच्छा पूरी करने का मुझे आदेश है। आपकी इच्छित वस्तु कल शाम तक उपलब्ध करा दी जाएंगी।’’ यह कहकर जेलर तेजी से चला गया।

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