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आराधना

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8338

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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ



राम के हुए तो बने काम


राम के हुए तो बने काम,
सँवरे सारे धन, धान, धाम।

पूछा जग ने, वह राम कौन?
बोली विशुद्धि जो रही मौन,
वह जिसके दून, न ड्योढ़-पौन,
जो वेदों में है सत्य, साम।

वह सूर्य्यवंश सम्भूत तभी,
जीवन की जय का सूत तभी,
कृष्णार्जुन हारण पूत तभी,
जो चरण विचारण बिना दाम।

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