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आराधना

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8338

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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ



तिमिर हरण तरणितरण किरण वरण हे


तिमिर हरण तरणितरण किरण वरण हे—तुम।
जित दानव मानवगण चरण शरण हे—तुम।
   
कला-सकल करतल गत,
अविगत, अविनत, अविरत,
आनन आनत शत-शत
मरण-मरण हे—तुम।

जब तक नर-मन अविकल,
रहो सकल फल, सम्बल,
विचले के क्षमा गरल
जग-ठग-रण के—तुम।

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