लोगों की राय

अतिरिक्त >> आराधना

आराधना

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8338

Like this Hindi book 2 पाठकों को प्रिय

248 पाठक हैं

जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ



खेत जोतकर घर आये हैं


खेत जोतकर घर आये हैं।

बैलों के कन्धों पर माची,
माची पर उलटा हल रक्खा,
बद्धी हाथ, अधेड़ पिता जी,
माता जी, सिर गट्ठल पक्का;
पिता गये गाँवों के गोंडे,
माता घर, लड़के धाये हैं।

आम और जामुन के फल हैं,
कुछ गूलड़, कुछ गुल्लू कच्चे,
लड़के चुनते हुए विकल हैं,
पेड़-पेड़ पर वे हैं सच्चे,
पुए लगाकर बड़ी बहू ने,
मन्नी से पर पकवाये हैं।

¤
¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book