लोगों की राय

अतिरिक्त >> आराधना

आराधना

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8338

Like this Hindi book 2 पाठकों को प्रिय

248 पाठक हैं

जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ



रँग गये साँवले नयन अली के


रँग गये साँवले नयन अली के;
छाये छाँह पर शयन, फली के।

विम्ब-पके अधरों के ऊपर
चूने लगे रँग रस के शीकर;
अँग की अँगिया चिपक-चिपककर
बोली वय के वयन लली के।

आँखों खगों की पाखें लग गयीं,
भू पर नभ की साखें लग गयीं,
लोगों के मन की माखें तग गयीं,
जैसे गोले पर चयन गली के।

¤
¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book