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हिन्दी की आदर्श कहानियाँ

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :204
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8474

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प्रेमचन्द द्वारा संकलित 12 कथाकारों की कहानियाँ



ब्याह

श्री जैनेन्द्र कुमार

[ आप दिल्ली निवासी हैं। आपका जन्म सन् १९०५ में हुआ था। आप प्रतिभासम्पन्न व्यक्ति हैं। अपनी प्रतिभा के बल से ही आपने उच्चकोटि के कहानी लेखकों में स्थान प्राप्त कर लिया है। आप अँगरेजी कहानी-कला के भी मर्मज्ञ हैं, कहानी लिखने में आपकी एक विशेष शैली है। आप विषय का इतना अच्छा प्रतिपादन करते हैं कि उसकी प्रतिमूर्ति खड़ी कर देते हैं।

आपकी कहानियों के संग्रह-फाँसी, एक रात, दो चिड़ियाँ और वातायन नाम से प्रकाशित हुए हैं। आपके ‘परख’ नामक उपन्यास पर हिन्दुस्तान एकेडमी ने ५०० रु. पुरस्कार दिया था। आपके अभी तक त्याग-पत्र, सुनीता, कल्याणी आदि अनेक प्रसिद्ध उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। ]

बड़े भाई के बाद अब घर का बोझ मुझ पर पड़ा, लेकिन मुझे इसमें दिक्कत नहीं हुई। सेशन जज हूँ, ७०० रु. मासिक पाता हूँ–और घर में मुकाबले को कोई नहीं है। माँ सेवा और आज्ञानुसारण के अतिरिक्त और कुछ नहीं जानती, और पत्नी जितनी ही कम शिक्षिता है, उतनी ही ज्यादा प्रतिप्राण है।

किंतु भाई साहब जिसे अपने अंतिम समय में खास तौर से बोझ बताकर मुझे सौंप गये, इसके सम्बन्ध में मुझे अवश्य सतर्क और चिंतित रहना पड़ता है। ललिता मैट्रिक पास करने के साथ अपना सोलहवाँ साल पार कर चुकी है। भाई साहब अपने जीवन-काल में इसे जहाँ तक हो, वहाँ तक पढ़ाना चाहते थे। शायद कारण यह हो कि खुद बहुत कम पढ़े थे। किन्तु आखिरी समय, आश्चर्य है, उन्होंने ललिता की शिक्षा के बारे में तो कुछ हिदायत न दी, कहा तो यह कहा कि ‘देखो ललिता का ब्याह जल्दी कर देना। मेरी बात टालना मत भूलना मत।’ अब भाई साहब की अनुपस्थिति में ललिता को देखते ही, उनके उपयुक्त शब्द बड़ी बेचैनी के साथ भीतर विद्रोह करने लगते हैं। मैं उन्हें भीतर-ही-भीतर खूब उलटता-पलटता हूँ, जानना चाहता हूँ–यह क्यों कहा? मेरा क्या कर्तव्य है।

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