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नाटक-एकाँकी >> करबला (नाटक)

करबला (नाटक)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :309
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8508

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अमर कथा शिल्पी मुशी प्रेमचंद द्वारा इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मुहम्मद के नवासे हुसैन की शहादत का सजीव एवं रोमांचक विवरण लिए हुए एक ऐतिहासित नाटक है।


साद– ऐ खुदा! बहुत बेहतर होता कि तूने मुझे शिमर की तरह स्याह बातिन बनाया होता, या हानी और क़सीर का-सा दिल दिया होता कि अपने को ग़ैर पर कुर्बान कर देता। कमजोर इंसान भी जानता है कि मुझे क्या करना चाहिए, और क्या नहीं कर सकता। वह गुलाम से भी बदतर है, जिसका अपनी मर्जी पर कोई अधिकार नहीं। मेरे कबीलेवालों ने भी सफ़बंदी शुरू कर दी। मुझे भी अब जाकर अपनी जगह पर सबसे आगे चलना चाहिए और वही करना चाहिए, जो शिमर कराए, क्योंकि अब मैं फ़ौज़ का सरदार नहीं हूं, शिमर है।

[आहिस्ता-आहिस्ता जाकर फौ़ज के सामने खड़ा हो जाता है।]

शिमर– (उच्च स्वर से) ऐ खिलाफत को जिंदा रखने के लिए अपने तई कुरबान करने वाले। बहादुरों, खुदा का नाम लेकर कदम आगे बढ़ाओ, दुश्मन तुम्हारे सामने है। वह हमारे रसूल पाक का नवासा है, और उस रिश्ते से हम सब ताजीम से उसके आगे सिर झुकाते हैं। लेकिन जो आदमी हिंर्स का इतना बंदा है कि रसूल पाक के हुक्म का, जो उन्होंने खिलाफ़त को अब तक कायम रखने के लिए दिया था, पैरों-तले कुचलता है, और जो क़ौम की बैयत की परवा न करके अपने विरासत के हक़ के लिए खिलाफ़त को खाक में मिला देना चाहे, वह रसूल का नवासा होते हुए भी मुसलमान नहीं है। हमारी निगाहों में रसूल के हुक्म की इज्जत उसके नवासे की इज्जत से कहीं ज्यादा है। हमारा फर्ज है कि हमने जिस खलीफ़ा की बैयत क़बूल की है, उसे ऐसे हमलों, से बचाएं, जो हिर्स को पूरा करने के लिए दाद के नाम पर किए जाते हैं। चलो, फर्ज के मैदान में कदम बढ़ाओ।

[नश्कारे पर चौब पड़ती है, और पूरा लश्कर हुसैन के पड़ाव की तरफ बढ़ता है। साद आगे कदम बढ़ाता हुआ हुसैन के खेमे के क़रीब पहुंच जाता है।]

अब्बास– (हुसैन के खेमे से निकलकर) साद! यह दग़ा! हम तुम्हारे जवाब का इंतजार कर रहे है, और तुम हमारे ऊपर हमला कर रहे हो? क्या यही आईने-जंग है?

साद– हज़रत, कलाम पाक की कसम, मैं दगा के इरादे से नहीं आया। (जियाद का खत अब्बास के हाथ में देकर) यह देखिए, और मेरे साथ इंसाफ कीजिए। मैं इस वक्त नाम के लिए फ़ौज का सरदार हूं, अख्तियार शिमर के हाथों में है।

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