लोगों की राय

नाटक-एकाँकी >> करबला (नाटक)

करबला (नाटक)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :309
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8508

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

36 पाठक हैं

अमर कथा शिल्पी मुशी प्रेमचंद द्वारा इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मुहम्मद के नवासे हुसैन की शहादत का सजीव एवं रोमांचक विवरण लिए हुए एक ऐतिहासित नाटक है।

छठा दृश्य

[दोपहर का समय। हुसैन अपने खेमे में खड़े है, जैनब, कुलसूम, सकीना, शहरबानू, सब उन्हें घेरे खड़े हैं।]

हुसैन– जैनब, अब्बास के बाद अली अकबर दिल को तस्कीन देता था। अब किसे देखकर दिल को ढाढ़स दूं? हाय! मेरा जवान बेटा प्यासा तड़प-तड़पकर मर गया! किस शान से मैदान की तरफ़ गया था। कितना हंसमुख, कितना हिम्मत का धनी! जैनब, मैंने उसे कभी उदास नहीं देखा, हमेशा मुस्कुराता रहता था। ऐ आंखों! अगर रोई, तो तुम्हें निकालकर फेंक दूंगा। खुदा की मर्जी में रोना कैसा! मालूम होता है, सारी कुदरत मुझे तबाह करने पर तुली हुई है। यह धूप कि उसकी तरफ ताकने ही से आंखें जलने लगती है! यह जलता हुआ बालू, ये लू के झूलसाने वाले झोंके, और यह प्यास! यों जिंदा जलना तीरों और भालों के जख्मों से कहीं ज्यादा सख्त है।

[अली असगर आता है, और बेहोश होकर गिर पड़ता है।]

शहरबानू– हाय, मेरे बच्चे को क्या हुआ!

हुसैन– (असगर को गोद में उठाकर) आह! यह फूल पानी के बग़ैर मुर्झाया जा रहा है। खुदा, इस रंज में अगर मेरी जबान से तेरी शान में कोई बेअदबी हो जाये, तो माफ कीजिए, मैं अपने होश में नहीं हूं। एक कटोरे पानी के लिए इस वक्त मैं जन्नत के हाथ धोने को तैयार हूं।

[असगर को गोद में लिए खेमे से बाहर आकर।]

ऐ जालिम क़ौम, अगर तुम्हारे खयाल में गुनहगार हूं, तो इस बच्चे ने तो कोई खता नहीं की है, इसे एक घूंट पानी पिला दो। मैं तुम्हारी नबी को नेवासा हूं, अगर इसमें तुम्हें शक है, तो काबा का बेकस मुसाफिर तो हूं। इससे भी अगर तुम्हें ताम्मुल हो, तो मुसलमान तो हूं। यह भी नहीं, तो अल्लाह का एक नाचीज बंदा तो हूं। क्या मेरे मरते हुए बच्चे पर तुम्हें इतना रहम भी नहीं आता?

मैं यह नहीं कहता हूं कि पानी मुझे ला दो,
तुम आन के चिल्लू से इसे आब पिला दो।
मरता है यह, मरते हुए बच्चे को जिला दो,
लिल्लाह, कलेजे की मेरी आग बुझा दो।
जब मुंह मेरा तकता है यह हसरत की नजर से,
ऐ जालिमो, उठता है धुआं मेरे जिगर से।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book