लोगों की राय

भाषा एवं साहित्य >> पीढ़ी का दर्द

पीढ़ी का दर्द

सुबोध श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :118
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9597

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

185 पाठक हैं

संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।


करता रहूँगा इन्तज़ार


मैं
बोलूँगा
तब तक,
जब तक
थम नहीं जाता
तुम्हारी आवाज़ का शोर,

मैं
नहीं रोकूँगा
अपने पैर
जब तक
तुम्हारे मदमस्त कदम
थक कर चूर नहीं हो जाते,

मैं
देखता रहूँगा
जब तक
अँधेरे में भी
सच देखने के काबिल न हो जाऊँ,

मैं
खाता रहूँगा ठोकरें
जब तक
बूटों में फंसे
तुम्हारे, अथक पाँव
जवाब नहीं दे देते
तुम्हें।

मैं
बूँद-बूँद जमा होता रहूंगा
जब तक
तुम्हारे
अथाह अस्तित्व के
बराबर न हो जाऊं।

और
मैं,
करता रहूंगा इन्तजार
तब तक
जब तक
नवजात सूर्य
रात की नाभि का
अमृत सोखकर
न आ बैठेगा-
सुनहरी सुबह की गोद में!

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book