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पीढ़ी का दर्द

सुबोध श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :118
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9597

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संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।


खण्डहर सा मैं


किसी महल के
खण्डहर सा
मैं,
जिसका अतीत
जानने की कुलबुलाहट
मन में दबाए
कोई मुसाफिर
साथ बिताने
कुछ लम्हे के बाद
उसकी दरकी हुई
दीवार पे-
हौले से अपना नाम खरोंच कर
अपनी राह चल देता है
सब कुछ भूलकर।

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