लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

जगन्नाथ मिश्रा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :147
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9688

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

360 पाठक हैं

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आजाद की सरल जीवनी

 

महन्त का शिष्य


बनारस के लक्शा मुहल्ले में एक मकान था, जिसके बाहर एक बोर्ड पर लिखा था-

''कल्याण आश्रम''।

मकान के बाहरी कमरे में तवला, हारमोनियम, सारंगी आदि वाद्य-यंत्र रखे रहते थे। बहुधा कुछ नवयुवक भी वहाँ जमा रहा करते थे। मुहल्ले वालों का विचार था, कुछ आवारा लड़के इस मकान में रहने लगे हैं।'

किन्तु इसका भीतरी भाग क्रान्तिकारी युवकों का अड्डा था। बाहरी दिखावट तो केवल दूसरों को भ्रम में डालने के लिए थी। एक दिन यहीं दल की बैठक थी। देशसेवा के लिए धन इकट्ठा करने की योजनाओं पर विचार किया जा रहा था। क्योंकि डाका डालने वाली योजना तो निष्फल सिद्ध हो ही चुकी थी। तभी दल के एक सदस्य रामकृष्ण खत्री नाम के एक साधु ने कहा, 'गाजीपुर में एक महन्त है। उसकी गद्दी बहुत बडी है, उसके पास बहुत धन है। वह आजकल बीमार है और मरने वाला है। उसे किसी ऐसे योग्य शिष्य की आवश्यकता है, जो उसके पीछे गद्दी संभाल सके। यदि हममें से कोई उसका शिष्य बन जाये, तो धन की समस्या हल हो सकती है।''

रामकृष्ण साधु की योजना सबको पसंद आ गई। इस काम के लिये, सर्वसम्मति से चन्द्रशेखर आजाद को ही चुना गया। यद्यपि आजाद की इच्छा स्वयं यह काम करने की बिल्कुल नहीं थी फिर भी कार्य चलाने के लिए, विवश होकर वह गाजीपुर चले गये।

महन्त मी इनकी सुन्दरता, गठीला शरीर और बातचीत का ढंग देखकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने उन्हें अपना प्रमुख शिष्य वना लिया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book