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प्रेमचन्द की कहानियाँ 14

प्रेमचंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :163
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9775

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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का चौदहवाँ भाग


सेवती- तुम्हें श्यामवाला गीत गाना पड़ेगा।

चन्द्रा- अच्छा गा दूंगी। हँसने को जी चाहता है न? हँस लेना।

सेवती- पहले गा दो तो लिखूं।

चन्द्रा- न लिखोगी। फिर बातें बनाने लगोगी।

सेवती- तुम्हारी शपथ, लिख दूंगी, गाओ।

चन्द्रा गाने लगी-

तुम तो श्याम बड़े बेखबर हो।

तुम तो श्याम पीयो दूध के कुल्हड़,

मेरी तो पानी पै गुजर

पानी पै गुजर हो। तुम तो श्याम बड़े बेखबर हो।

अन्तिम शब्द कुछ ऐसे बेसुरे निकले कि हँसी को रोकना कठिन हो गया। सेवती ने बहुत रोका पर न रुक सकी। हँसते-हँसते पेट में बल पड़ गया। चन्द्रा ने दूसरा पद गाया:

आप तो श्याम रक्खो दो-दो लुगइयाँ,
मेरी तो आपी पै नजर,
आपी पै नजर हो।
तुम तो श्याम....


‘लुगइयाँ’ पर सेवती हँसते-हँसते लोट गयी। चन्द्रा ने सजल नेत्र होकर कहा- अब तो बहुत हँस चुकीं। लाऊं कागज?

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