लोगों की राय

कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 25

प्रेमचन्द की कहानियाँ 25

प्रेमचंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :188
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9786

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

317 पाठक हैं

प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का पच्चीसवाँ भाग


बंटी ने आँखें नचाकर कहा, 'क़ह दूँगी, क्यों बताऊँ? दुनिया कमाती है, तो किसी को हिसाब देने जाती है? हमीं क्यों अपना हिसाब दें।'

भोंदू ने संदिग्ध भाव से गर्दन हिलाकर कहा, 'यह कहने से गला न छूटेगा, बंटी! तू कह देना, मैं तीन-चार मास से दो-दो, चार-चार रुपये महीना जमा करती आई हूँ। हमारा खरच ही कौन बड़ा लंबा है।'

दोनों ने मिलकर बहुत-से जवाब सोच निकाले- 'ज़ड़ी-बूटियाँ बेचते हैं।'

एक-एक जड़ी के लिए मुट्ठी-मुट्ठी भर रुपये मिल जाते हैं। खस, सैंकडे, जानवरों की खालें, नख और चर्बी, सभी बेचते हैं। इस ओर से निश्चिन्त होकर दोनों बाजार चले। बंटी ने अपने लिए तरह-तरह के कपड़े, चूड़ियाँ, टिकुलियाँ, बुंदे, सेंदुर, पान-तमाखू, तेल और मिठाई ली। फिर दोनों जने शराब की दूकान गये। खूब शराब पी। फिर दो बोतल शराब रात के लिए लेकर दोनों घूमते-घामते, गाते-बजाते घड़ी रात गये डेरे पर लौटे। बंटी के पाँव आज जमीन पर न पड़ते थे। आते ही बन-ठनकर पड़ोसियों को अपनी छवि दिखाने लगी। जब वह लौटकर अपने घर आयी और भोजन पकाने लगी, तब पड़ोसियों ने टिप्पणियाँ करनी शुरू कीं 'कहीं गहरा हाथ मारा है।'

'बड़ा धरमात्मा बना फिरता था।'

'बगला भगत है।'

'बंटी तो आज जैसे हवा में उड़ रही है।'

'आज भोंदुआ की कितनी खातिर हो रही है। नहीं तो कभी एक लुटिया पानी देने भी न उठती थी।'

रात को भोंदू को देवी की याद आयी। आज तक कभी उसने देवी की वेदी पर बकरे का बलिदान न किया था। पुलिस को मिलाने में ज्यादा खर्च था। कुछ आत्म-सम्मान भी खोना पड़ता। देवीजी केवल एक बकरे में राजी हो जाती हैं। हाँ, उससे एक गलती जरूर हुई थी। उसकी बिरादरी के और लोग साधारणतया कार्यसिध्दि के पहले ही बलिदान दिया करते थे। भोंदू ने यह खतरा न लिया। जब तक माल हाथ न आ जाय, उसके भरोसे पर देवी-देवताओं को खिलाना उसकी व्यावसायिक बुद्धि को न जँचा। औरों से अपने कृत्य को गुप्त रखना भी चाहता था; इसलिए किसी को सूचना भी न दी, यहाँ तक कि बंटी से भी न कहा, बंटी तो भोजन बना रही थी, वह बकरे की तलाश में घर से निकल पड़ा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai