लोगों की राय

कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 43

प्रेमचन्द की कहानियाँ 43

प्रेमचंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :137
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9804

Like this Hindi book 10 पाठकों को प्रिय

353 पाठक हैं

प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का तैंतालीसवाँ भाग


नायक ने आशीर्वाद दिया- ईश्वर आपकी मदद करे।

उस सुहावने-सुनहले प्रभात में जैसे उमंग घुली हुई थी। समीर के हलके-हलके झोकों में प्रकाश की हल्की-हल्की किरणों में उमंग सनी हुई थी। लोग जैसे दीवाने हो गये थे। मानो आजादी की देवी उन्हें अपनी ओर बुला रही हो। वही खेत-खलिहान, बाग-बगीचे हैं, वही स्त्री-पुरुष हैं पर आज के प्रभात में जो आशीर्वाद है, जो वरदान है, जो विभूति है, वह और कभी न थी। वही खेत-खलिहान, बाग-बगीचे, स्त्री-पुरुष आज एक नयी विभूति में रंग गये हैं। सूर्य निकलने के पहले ही कई हजार आदमियों का जमाव हो गया था। जब सत्याग्रहियों का दल निकला तो लोगों की मस्तानी आवाजों से आकाश गूँज उठा। नये सैनिकों की विदाई, उनकी रमणियों का कातर धैर्य, माता-पिता का आर्द्र गर्व, सैनिकों के परित्याग का दृश्य लोगों को मस्त किये देता था।

सहसा नोहरी लाठी टेकती हुई आ कर खड़ी हो गयी।

मैकू ने कहा- काकी, हमें आशिर्वाद दो।

नोहरी- मैं तुम्हारे साथ चलती हूँ बेटा! कितना आशीर्वाद लोगे?

कई आदमियों ने एक स्वर से कहा- काकी, तुम चली जाओगी, तो यहाँ कौन रहेगा?

नोहरी ने शुभ-कामना से भरे हुए स्वर में कहा- भैया, जाने के तो अब दिन ही है, आज न जाऊंगी, दो-चार महीने बाद जाऊंगी। अभी जाऊंगी, तो जीवन सफल हो जायेगा। दो-चार महीने में खाट पर पड़े-पड़े जाऊंगी, तो मन की आस मन में ही रह जाएगी। इतने बालक हैं, इनकी सेवा से मेरी मुकुत बन जायगी। भगवान करे, तुम लोगों के सुदिन आएँ और मैं अपनी ज़िन्दगी में तुम्हारा सुख देख लूँ।

यह कहते हुए नोहरी ने सबको आशीर्वाद दिया और नायक के पास जाकर खड़ी हो गई।

लोग खड़े देख रहे थे और जत्था गाता हुआ जाता था।

एक दिन यह है कि हम-सा बेहया कोई नहीं।

नोहरी के पाँव ज़मीन पर न पड़ते थे; मानों विमान पर बैठी हुई स्वर्ग जा रही हो।

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai