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प्रेमचन्द की कहानियाँ 43

प्रेमचंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :137
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9804

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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का तैंतालीसवाँ भाग


मैग्डलीन- हाय जोजेफ, तुम मुझसे माफी मांगते हो, ऐं, तुम जो दुनिया के सब इन्सानों से ज्यादा नेक, ज्यादा सच्चे और ज्यादा लायक हो, मगर हाँ यह तुम्हारी गलती थी। मुझे बेशक तुमने मुझे बिलकुल न समझा था जोजेफ  ताज्जुब तो यह है कि तुम्हारा ऐसा पत्थर का दिल कैसे हो गया।

जोजेफ- मेगा, ईश्वर जानता है जब मैंने रफेती को यह सब सिखा-पढ़ाकर तुम्हारे पास भेजा है, उस वक्त मेरे दिल की क्या कैफियत थी। मैं जो दुनिया में नेकनामी को सबसे ज्यादा कीमती समझता हूं और मैं जिसने दुश्मनों के जाती हमलों को कभी पूरी तरह काटे बिना न छोड़ा, अपने मुंह से सिखाऊं कि जाकर मुझे बुरा कहो, मगर यह केवल इसलिए था कि तुम अपने शरीर का ध्यान रक्खो और मुझे भूल जाओ।

सच्चाई यह थी कि मैजिनी ने मैग्डलीन के प्रेम को रोज-ब-रोज बढ़ते देखकर एक खास हिकमत की थी। उसे खूब मालूम था कि मैग्डलीन के प्रेमियों में से कितने ही ऐसे हैं जो उससे ज्यादा सुंदर, ज्यादा दौलतमंद और ज्यादा अक्लवाले हैं, मगर वह किसी को खयाल में नहीं लाती। मुझमें उसके लिए जो खास आकर्षण है, वह मेरे कुछ खास गुण हैं और अगर मेरे ऐसे मित्र, जिनका आदर मैग्डलीन भी करती है, उससे मेरी शिकायत करके इन गुणों को महत्व उसके दिल से मिटा दें तो वह खुद-ब-खुद भूल जायेगी। पहले तो उसके दोस्त इस काम के लिए तैयार न होते थे मगर इस डर से कि कहीं मैग्डलीन ने घुल-घुलकर जान दे दी तो मैजिनी जिन्दगी भर हमें माफ न करेगा, उन्होंने यह अप्रिय काम स्वीकार कर लिया था। वह स्विट्जरलैंड गये और जहां तक उनकी जबान में ताकत थी, अपने दोस्त की पीठ पीछे बुराई करने में खर्च की। मगर मैग्डलीन पर मुहब्बत का रंग ऐसा गहरा चढ़ा हुआ था कि इन कोशिशों का इसके सिवाय और कोई नतीजा न हो सकता था जो हुआ।

वह एक रोज बेकरार होकर घर से निकल खड़ी हुई और रोम में आकर एक सराय में ठहर गई। यहां उसका रोज का नियम था कि मैजिनी के पीछे-पीछे उसकी निगाह से दूर घूमा करती मगर उसे आश्वस्त और अपनी सफलता से प्रसन्न पाकर उसे छेड़ने का साहस न करती थी। आखिरकार जब फिर उस पर असफलताओं का वार हुआ और वह फिर दुनिया में बेकस और बेबस हो गया तो मैग्डलीन ने समझा, अब इसको किसी हमदर्द की जरुरत है। और पाठक देख चुके हैं जिस तरह वह मैजिनी से मिली।

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