भाषा एवं साहित्य >> हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शनमोहनदेव-धर्मपाल
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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन-वि0सं0 700 से 2000 तक (सन् 643 से 1943 तक)
महाकवि सूरदास
जन्म समय- हमारे चरितनायक महाकवि सूरदास का जन्म कब और कहां हुआ-यह अभी तक निश्चित नहीं हो पाया है। अनेक विद्वान् सूरदास का जन्म संवत् १५४० में मानते हैं, पर कुछ विद्वानों का कथन है कि सूरदास का जन्म संवत् १५३५ में हुआ था।
गुरु प्रसाद होत यह दरसन सरसठि बरस प्रवीन।
सिब विधान तप करेउ बहुत दिन, तऊ पार नहिं लीन।।
सूर-सारावली के उक्त दोहे में इस रचना के निर्माण! के समय लेखक ने अपनी आयु सड़सठ वर्ष की बतलाई है। यदि सूर-सारावली और साहित्य-लहरी का रचनाकाल एक ही मान लें तो सूर-सारावली संवत् १६६० में लिखी गई-ऐसा मानना होगा। तदनुसार सूर का जन्म संवत् १५४० ठहरता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल तथा मिश्रबन्धु आदि विद्वानों ने साहित्य-लहरी की रचना सं० १६०७ की मानकर ही सूरदास का जन्म-संवत् १५४० माना है, किन्तु कुछ विद्वान् साहित्य-लहरी की रचना सं० १६१७ और सं० १६२७ तक मानते हैं। उनके मत में सूरदास का जन्म सं० १५५० और सं० १५६० तक आगे बढ़ जाता है।
किन्तु वल्लभाचार्य जी के द्वारा प्रवर्तित वल्लभ-सम्प्रदाय या पुष्टिमार्ग में ऐसा मत प्रचलित है कि सूरदास जी वल्लभाचार्य जी से केवल दस दिन छोटे थे। वल्लभाचार्य जी की जन्म-तिथि सं० १५३५ वैशाख शुक्ला पंचमी है। इस हिसाब से सूरदास जी का जन्म सं० १५३५ वैशाख शुक्ला पूर्णिमा का ठहरता है। आधुनिक विद्वानों का बहुमत इसी विचार को पुष्ट करता है। अत: जब तक अन्य कोई दृढ़ प्रमाण उपलब्ध नहीं होता, तब तक हमें सूरदास जी का जन्म सं० १५३५ ही स्वीकार करना चाहिए।
स्वर्गारोहण- सूरदास का निधन कब हुआ, इस सम्बन्ध में भी अनेक मत हैं। कुछ विद्वान् सं० १६२८ में, कुछ सं० १६३० में तथा अधिक विद्वान् सं० १६४० में सूरदास का निधन मानते हैं। बहुमत के आधार पर सूरदास का गोलोकवास सं० १६४० में ही माना जाता है।
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