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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन

मोहनदेव-धर्मपाल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :187
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9809

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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन-वि0सं0 700 से 2000 तक (सन् 643 से 1943 तक)

मलिक मुहम्मद जायसी

जन्म- हमारे चरित-नायक, प्रेम की पीर के प्रमुख प्रचारक, सूफी, संत-शिरोमणि कवि मलिक मुहम्मद जायसी के जन्म-समय के सम्बन्ध में भी अन्य हिन्दी-कवियों की भांति पर्याप्त मतभेद है। अनुमान के द्वारा जन्म-संबत् १५५० निश्चित किया गया है। कवि ने 'आखिरी कलाम' नामक अपनी पुस्तक में इस सम्बन्ध में लिखा है कि-

भा औतार मोर नौ सदी तीस बरिस ऊपर कवि वदी।

अर्थात् मेरा जन्म हिजरी नवीं सदी (हिजरी सन् ९००) में हुआ और ३० वर्ष की अवस्था में मुझे कवि मान लिया गया। सन् ९०० हिजरी में विक्रम-संवत् १५५० और ईस्वी सन् १४९३ आता है। इसी पद के आधार पर जायसी का जन्म-संवत् १५५० माना गया है। डाक्टर कमल कुलश्रेष्ठ ने जायसी का जन्म ९०६ हिजरी या १५५६ बिक्रम में माना है। पर हमारे विचार में जायसी का जन्म-संवत् १५२० मानना अधिक उपयुक्त होगा। तब उक्त पद का अर्थ हम इस प्रकार करेंगे कि नवीं सदी के आरम्भ होने पर जब मै ३० वर्ष का था तो कवि मान लिया गया। जायसी की मृत्यु संवत् १६०० में अमेठी में हुई। इस प्रकार जायसी की कुल आयु ४९ वर्ष ठहरती है।

अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ 'पदमावत' में जो जायसी ने अपने बुढापे का चित्र अंकित किया है वह इस मत के अनुसार ठीक नहीं बैठता। जायसी लिखते हैं कि-

मुहम्मद विरिध वैसे जो भई, जोवन हुत सो अवस्था गई।
बल जो गएउ कै खीन सरीरू, दृष्टि गई नैनहिं देह नीरू।।
दसन गए कै पचा कपोला, बैन गए अनरुच देह बोला।।

इस वर्णन के अनुसार कवि ७०-८० वर्ष के अवश्य हो गये थे। यह तभी सम्भव हो सकता है जबकि उनका जन्म-संवत् १५२० मान लिया जाय; पर अभी तक बहुमत से उनका जन्म १५५० ही माना जाता है। ये सूफी मुसलमान थे।

जन्म-स्थान- इस सूफी कवि का जन्म-स्थान 'जायस' कहा जाता हे। पर कुछ विद्वान् गाजीपुर को इनका जन्म-स्थान बताते हैं। जायस के सम्बन्ध में कवि ने पदमावत में लिखा है कि-

जायस नगर धरम अस्थानू, तहाँ आइ कवि कीर बखानू।

और 'आखिरी कलाम' में उल्लेख है-

जायस नगर मोर अस्थानू, नगर के नाँव आदि उदयानू।
तहां दिवस दस पहुने आएउँ, भा वैराग बहु सुख पाएउँ।।

इन दोनों उल्लेखों से ज्ञात होता है कि जायसी की जन्म-भूमि 'जायस' नहीं थी। वे कहीं बाहर से आकर वहां रहे थे। हो सकता है कि उनका जन्म गाजीपुर में ही हुआ हो।

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