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जयशंकर प्रसाद की कहानियां

जयशंकर प्रसाद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :435
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9810

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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ


नूरी ने घूमकर देखा, लम्बा-सा, गौर वर्ण का युवक उसकी बगल में खड़ा है। वह चाँदनी रात में उसे पहचान गयी। उसने कहा—”शाहजादा याकूब खाँ?”

“हाँ, मैं ही हूँ! कहो, तुमने क्यों बुलाया है?”

नूरी सन्नाटे में आ गयी। इस प्रश्न में प्रेम की गंध भी नहीं थी। वह भी महलों में रह चुकी थी। उसने भी पैंतरा बदल दिया।

“आप वहाँ क्यों गये थे?”

“मैं इसका जवाब न दूँ, तो?”

नूरी चुप रही।

याकूब खाँ ने कहा—”तुम जानना चाहती हो?”

“न बताइए।”

“बताऊँ तो मुझे....”

“आप डरते हैं, तो न बताइए।”

“अच्छा, तो तुम सच बताओ कि कहाँ की रहने वाली हो?”

“मैं काश्मीर में पैदा हुई हूँ।” याकूब खाँ अब उसके समीप ही बैठ गया।

उसने पूछा—”कहाँ?”

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