लोगों की राय

धर्म एवं दर्शन >> प्रेममूर्ति भरत

प्रेममूर्ति भरत

रामकिंकर जी महाराज

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :349
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9822

Like this Hindi book 0

भरत जी के प्रेम का तात्विक विवेचन


अवश्य ही पुरवासियों में से कुछ ने इसका दूसरा ही अर्थ लिया होगा। संकेत किया होगा- ‘कहा न था कि भरत की सम्मति बिना यह नहीं हुआ, तभी न देखो, पिताजी या बड़ी अम्बा के भवन की ओर पहले नहीं गये, यद्यपि उचित यही था।’ उस समय उनकी मान्यता-क्रान्त बुद्धि प्रत्येक क्रिया का उसी पक्ष में अर्थ लगाये, यह स्वाभाविक है। पर वस्तुत: इसमें भरत जी का कैकेयी अम्बा के महल में जाने का भाव बड़ा ही पवित्र है! उन्होंने सोचा कि छोटी अम्बा के निकट ही सबके दर्शन हो जायँगे। उन्हें ज्ञात था कि भैया रामचन्द्र अपनी छोटी अम्बा से इतना प्रेम करते हैं कि उनके भवन को छोड़ और कहीं हो नहीं सकते। फिर जहाँ राघवेन्द्र हों, वहीं पिताजी और कौशल्या अम्बा को होना स्वाभाविक है। ‘साधन सिद्धि राम पग नेहू’ को मानने वाले श्री भरत की प्रेममयी दृष्टि उन्हें ऐसा पथ दिखाये यह स्वाभाविक था, पर उस समय वास्तविकता को समझने के लिए लोगों को अवकाश कहाँ था। पुरवासियों की बुद्धि को तो राम-वियोग कुरोग ने छीन लिया था।

द्वार पर लेने आयी कैकेयी। हृदय से लगा लिया, पर भरत को लगा मानो वात्सल्यमयी अम्बा नहीं, किसी प्रस्तर प्रतिमा से मिल रहे हों। कैकेयी उनको उदास देख अपने मातृगृह की कुशलता के लिये चिन्तित होकर पूछती है-

पूँछति नैहर कुसल हमारे ।

शीघ्रतापूर्वक उत्तर देकर आश्चर्य और भयग्रस्त कण्ठ से श्री भरत जी ने पूछा--

कहु  कहँ  तात कहाँ सब माता ।
कहँ सिय राम लखन प्रिय भ्राता ।।

यह प्रश्न ही उनके कैकेयी अम्बा के भवन में सर्वप्रथम आने का कारण व्यक्त कर रहा है। उनका यह पूछना कि ‘पिता जी कहाँ हैं?’ और कहाँ हैं सब माताएँ? फिर भला, भाभी श्री सीता और भैया राम-लक्ष्मण भी तो नहीं दीख पड़ते! इससे ही स्पष्ट हो जाता है कि उन्हं  यहाँ प्रत्येक के दर्शन हो जाने की आशा थी, पर वहाँ तो उत्तर मिलता है-

कछुक काज विधि बीच बिगारेउ ।
भूपति  सुरपति  पुर पगु  धारेउ ।।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai