लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824

Like this Hindi book 0

महात्मा गाँधी की आत्मकथा


पर आत्महत्या कैसे करें? जहर कौन दें? हमने सुना कि धतूरे के बीज खाने से मृत्यु होती हैं। हम जंगल में जाकर बीच ले आये। शाम का समय तय किया। केदारनाथजी के मन्दिर की दीपमाला में घी चढ़ाया, दर्शन कियें और एकान्त खोज लिया। पर जहर खाने की हिम्मत न हूई। अगर तुरन्त ही मृत्यु न हुई तो क्या होगा? मरने से लाभ क्या? क्यों न पराधीनता ही सह ली जाये? फिक भी दो-चार बीज खाये। अधिक खाने की हिम्मत ही न पड़ी। दोनों मौत से डरे और यह निश्चय किया कि रामजी के मन्दिर जाकर दर्शन करके शान्त हो जाये और आत्महत्या की बात भूल जाये।

मेरी समझ में आया कि आत्महत्या का विचार करना सरल हैं, आत्महत्या करना सरल नहीं। इसलिए कोई आत्महत्या करने का धमकी देता हैं, तो मुझ पर उसका बहुत कम असर होता हैं अथवा यह कहना ठीक होगा कि कोई असर हो ही नहीं।

आत्महत्या के इस विचार का परिणाम यह हुआ कि हम दोनो जूठी बीड़ी चुराकर पीने की और नौकर के पैसे चुराकर पैसे बीड़ी खरीदने और फूँकने की आदत भूल गये। फिर कभी बड़ेपन में पीने की कभी इच्छा नहीं हुई। मैंने हमेशा यह माना हैं कि यह आदत जंगली, गन्दी और हानिकारक हैं। दुनिया में बीड़ी का इतना जबरदस्त शौक क्यों हैं, इसे मैं कभी समझ नहीं सका हूँ। रेलगाड़ी के जिस डिब्बे में बहुत बीड़ी पी जाती हैं, वहाँ बैठना मेरे लिए मुश्किल हो जाता हैं औऱ धुँए से मेरा दम घुटने लगता हैं।

बीड़ी के ठूँठ चुराने और इसी सिलसिले में नोकर के पैसे चुराने की के दोष की तुलना में मुझसे चोरी का दूसरा जो दोष हुआ, उसे मैं अधिक गम्भीर मानता हूँ। बीड़ी के दोष के समय मेरी उमर बारह तेरह साल की रही होगी ; शायद इससे कम भी हो। दूसरी चोरी के समय मेरी उमर पन्द्रह साल की रही होगी। यह चोरी मेरे माँसाहारी भाई के सोने के कड़े के टुकड़े की थी। उन पर मामूली सा, लगभग पच्चीस रुपये का कर्ज हो गया था। उसकी अदायगी के बारे हम दोनो भाई सोच रहे थे। मेरे भाई के हाथ में सोने का ठोस कड़ा था। उसमें से एक तोला सोना काट लेना मुश्किल न था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book