लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824

Like this Hindi book 0

महात्मा गाँधी की आत्मकथा

कुली-लोकेशन अर्थात् भंगी-बस्ती


हिन्दुस्तान में हम अपनी बड़ी से बड़ी सेवा करने वाले ढेड़, भंगी इत्यादि को, जिन्हें हम अस्पृश्य मानते हैं, गाँव से बाहर अलग रखते हैं। गुजराती में उनकी बस्ती को 'ढेड़वाड़ा' कहते हैं और इस नाम का उच्चारण करने में लोगों को नफरत होती हैं। इसी प्रकार यूरोप के ईसाई समाज में एक जमाना ऐसा था, जब यहूदी लोग अस्पृश्य माने जाते थे और उनके लिए जो ढ़ेड़वाड़ा बसाया जाता था उसे 'घेटो' कहते थे। यह नाम असगुनिया माना जाता था। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में हम हिन्दुस्तानी लोग ढ़ेड़ बन गये हैं। एंड्रूज के आत्म बलिदान से और शास्त्री की जादू की छड़ी से हमारी शुद्धि होगी और फलतः हम ढ़ेड़ न रहकर सभ्य माने जायेंगे या नहीं, सो आगे देखना होगा।

हिन्दूओं की भाँति यहूदियों ने अपने को ईश्वर का प्रीतिपात्र मानकर जो अपराध किया था, उसका दंड़ उन्हे विचित्र और अनुचित रीति से प्राप्त हुआ था। लगभग उसी प्रकार हिन्दुओं ने भी अपने को सुसंस्कृत अथवा आर्य मानकर अपने ही एक अंग को प्राकृत, अनार्य अथवा ढ़ेड़ माना हैं। अपने इस पाप का फल वे विचित्र रीति से और अनुचित ढंग से दक्षिण अफ्रीका आदि उपनिवेशों में भोग रहे है और मेरी यह धारणा है कि उसमें उनके पड़ोसी मुसलमान और पारसी भी, जो उन्हीं के रंग के और देश के हैं, फँस गये हैं।

जोहानिस्बर्ग के कुली -लोकेशन को इस प्रकरण का विषय बनाने का हेतु अब पाठकों की समझ में आ गया होगा। दक्षिण अफ्रीका में हम हिन्दुस्तानी 'कुली' के नाम से मशहूर हो गये हैं। यहाँ तो हम 'कुली' शब्द का अर्थ केवल मजदूर करते हैं। लेकिन दक्षिण अफ्रीका में इस शब्द को जो अर्थ होता था, उसे 'ढ़ेड़', 'पंचम' आदि तिरस्कारवाचक शब्दों द्वारा ही सूचित किया जा सकता हैं। वहाँ 'कुलियों' के रहने के लिए जो अलग जगह रखी जाती हैं, वह 'कुली लोकेशन' कही जाती हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book