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जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824

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महात्मा गाँधी की आत्मकथा


वेस्ट ने जवाब दिया, 'यह तो आप जानते है कि मेरा अपना छापा-खाना हैं। बहुत संभव है कि मैं जाने को तैयार हो जाऊँ। आखिरी जवाब आज शाम तक दूँ तो चलेगा न? घूमने निकल सके तो उस समय हम बात कर लेंगे।'

मैं प्रसन्न हुआ। उसी दिन शाम को थोडी बातचीत की। वेस्ट को हर महीने दस पौंड और छापेखाने में कुठ मुनाफा हो तो उसका अमुक भाग देने का निश्चय किया। वेस्ट वेतन के लिए तो आ नहीं रहे थे। इसलिए वेतन का सवाल उनके सामने नहीं था। दूसरे ही दिन रात की मेंल से वे डरबन के लिए रवाना हुए और अपनी उगाही का काम मुझे सौपते गये। उस दिन से लेकर मेरे दक्षिण अफ्रीका छोड़ने के दिन तक वे मेरे सुख-दुःख के साथी रहे। वेस्ट का जन्म विलायत के एक परगने के लाउथ नामक के एक किसान परिवार में हुआ था। उन्हें साधारण स्कूली शिक्षा प्राप्त हुई थी। वे अपने परिश्रम से अनुभव की पाठशाला में शिक्षा पाकर तैयार हुए शुद्ध, संयमी, ईश्वर से डरने वाले, साहसी और परोपकारी अंग्रेज थे। मैंने उन्हें हमेशा इसी रुप में जाना हैं। उनका और उनके कुटुम्ब का परिचय इन प्रकरणों में हमे आगे अधिक होने वाला हैं।

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