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मूछोंवाली

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835

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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

25

आदर्श


‘तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं हो,

तुम्हीं हो बन्धु, सखा तुम्हीं हो...’

प्रार्थना समाप्त होते ही छात्रों को बैठने का आदेश मिला।

मैडम करने लगी अपनी कक्षा के छात्रों के नाखूनों की जांच।

बारह छात्रों को खड़ा करके नोट-बुक निकालने का आदेश दिया।

कॉपी पर नोट चढ़ाते हुए प्रत्येक छात्र को डांट भी रही थी।

विद्यार्थी दबी-दबी नजरों से मैडम के हाथ को देख रहे थे।

दूसरे सप्ताह जब यही प्रक्रिया दोहराई तो नाखून बढ़े छात्रों की संख्या हो गयी सोलह।

मैडम डांटती रही, नोट चढ़ाती रही।

छात्र उनकी उंगलियों को देखकर कानाफूसी करते रहे।

तीसरे सप्ताह उन छात्रों की संख्या हो गयी बीस।

आश्चर्य...।

एक बच्चे ने पीछे से कह ही दिया, ’जरा मैडम के नाखून तो देखिए...।’

मैडम का चेहरा फक्क।

सुनकर अनसुना करती मैडम तेजी से आगे बढ़ गयी।

 

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