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मूछोंवाली

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835

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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

33

अपना-अपना पेट


मालकिन ने अपनी नौकरानी सीमा को बुलाकर कहा-’सीमा तुम अपने रामू से बोलो वह हमारे सौरभ बाबू को साथ ले जाकर सामने पार्क में घुमा लाए। कई दिनों से उसका हाजमा खराब है। कुछ खाना ही नहीं खा रहा... जरा घूम लेगा तो भूख खुल जाएगी...।’

ना बीबी जी ऐसा न करो। अभी-अभी रामू को खिला-पिलाकर लाई हूं। अधिक घूम फिर लेगा तो सब हजम हो जाएगा...। यदि वापस आकर माँगने लगा तो मैं बार-बार इसके लिए खाना कहां से लाऊंगी। मालकिन के प्रस्ताव को अस्वीकार कर सीमा तेजी से बर्तन माँजने लगी।

 

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