लोगों की राय

नई पुस्तकें >> मूछोंवाली

मूछोंवाली

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835

Like this Hindi book 0

‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

60

दूध और पानी


सात वर्ष बाद घर में चिराग रोशन हुआ तो सारा घर खुशियों से झूम उठा, लेकिन इधर-उधर कई स्त्रियां कनखियों से उसे देखकर आपस में बतिया रही थीं जैसे उसके विरुद्ध कोई षड्यंत्र बना रही हों।

सबके चले जाने के बाद मन में शंका लिए वह तेजी से अपनी पत्नी के पास पहुंचा।

‘कैसा गोरा चिट्टा लड़का... दंग रह गया एक क्षण के लिए वह। सच ही तो है, ऐसा गोरा लड़का’तो हो नहीं सकता- कभी भी नहीं... धीरे-धीरे उसके नथुने फड़फड़ाने लगे।

‘रघु की माँ- ये लड़का -पाप है पाप’ क्रोध उबल पड़ा उसका।

‘कैसे-?’ वह शान्त थी।

‘कहीं ऐसा भी होता...?’

‘हां...होता है...।’

‘नहीं...कभी नहीं...।’

‘नहीं... क्यों नहीं... सामने जिस गोरी मेम को तुम दूध देने जाते हो उसके घर कैसा काला-कलूटा लड़का हुआ था’ रघु की माँ सीने से बच्चे को चिपकाए रही।

उसका मुंह लटक गया। खिन्न मुद्रा में पांव पीटता हुआ वह बाहर निकल गया। दूध में से पानी साफ हो गया था।

 

0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book