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			 नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
‘‘अर्वाचीन जीवन प्राचीन की सर्वश्रेष्ठ साहित्य कला से प्रेरित होकर भविष्य को उज्ज्वलतम बना सकता है, ’’ ऐसा मेरा विश्वास है। अतः इसी विश्वास की अनुपम शक्ति से प्ररेणा पाकर लगभग दो वर्ष तक इस अकिंचन ने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गूढ़ साहित्य-दर्शन का मंथन किया, और वह विशेषतः इसलिए कि प्रस्तुत ग्रन्थ के मौलिक रूप से उसका रूपान्तर करते समय मैं उनकी गम्भीरतम भावाभिव्यक्ति को छिपा न रहने दूँ।
मेरे विचार से ‘प्रेमी का उपहार’ एक इष्ट रूपान्तर होने के साथ-साथ अपने मौलिक रूप में एक अभीष्ट अभिवृद्धि भी है।
प्रत्येक विषय के पहले जो शीर्षक दिये गये हैं उनमें गुरुदेव के बृहद् भावों की एक छोटी-सी सृष्टि है, पर प्रस्तुत संकलन का प्रणय-निवेदन एकमात्र छोटी-सी सृष्टि नहीं अपितु वह भावना का समूचा राष्ट्र है जो संस्कृति की नौका में बैठकर जीवन के स्वर्गीय आदर्श की ओर इंगित कर रहा है।
विश्व साहित्य में आदर्श और विश्व की मानव आत्मा में प्रेम, शान्ति और एकता का मन्त्र उच्चारण करने वाले इस साहित्यिक-यति के ग्रन्थ का हिन्दी मं अनुवाद करने के लिए जो उत्साह मुझे भूदान-यज्ञ के महाप्रणेता आचार्य विनोबा भावे द्वारा राष्ट्र को किये गये आदेशों से मिला है उसके लिए मैं श्रद्धेय आचार्य जी का अन्तःकरण से कृतज्ञ हूँ।
‘‘अंग्रेज़ी भाषा में निपुण भारतीय यदि अंग्रेजी की एक भी पुस्तक का अनुवाद अपनी योग्यतानुसार भारत की किसी भी भाषा में करने लगे तो वास्तव में राष्ट्रीय साहित्य-कोष की अभिवृद्धि में वे बड़ा सहयोग दे सकेंगे।’’
प्रेमी का उपहार
रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
अनुक्रम

- प्रेमी का उपहार
- मृत्यु को भी अमृत पिलाने वाली वस्तु केवल एक प्रेम है
 - जो सुन्दर है वह आकर्षक है, जो आकर्षक है वह भ्रमात्मक है
 - मधु को तो अधरों पर ही समर्पित हो जाना चाहिए
 - उसके प्रति जो मेरा है – ‘प्रेम’, वही मेरा जीवन भी है
 - जो मेरा पूजित है, केवल वही मुझे मिल जाय
 - शान्त न बैठ सको तो अपने आँसुओं को भी दूसरों से न कहो
 - तुम्हारी कलाई पकड़कर पुष्पों की श्रृंखला से उसे बाँध दूँ और तुम्हें अपना बना लूँ
 - नारी! तुम्हारे प्रति नर की श्रद्धा सबसे अधिक है
 - काश, धुंधले प्रकाश में तुम अपने मार्ग से विचलित हो जाओ, तो क्या बात है?
 - मोह में शक्ति है कि किसी को भी वशीभूत कर ले
 - वह जो चाहे करे उसे सब कुछ कर लेने दो
 - तुम समझो! तुम्हारी ही प्रेरणा तुम्हारे प्रति मेरे प्रेम का कारण है
 - तुमने मुसकराने की चेष्टा की और मैंने तुम्हारा घूँघट-पट हटाने की
 - तुम्हारी काली आँखों को देखकर ही तो बादल बरसते हैं।
 - काला वर्ण अथवा गौर वर्ण, जिसे मैं प्रेम करता हूँ वह प्रेमास्पद है
 - उसकी याद कैसे कोई भूल जाय
 - मैं जानता हूँ किस विरह की वेदना से कमलनि पीली पड़ गई है
 - बसंत का प्रफुल्लित पुष्प-प्रेम जाड़े के निर्दयी विरह से कब तक न टूटेगा
 - युवक वनछायाओं की मानवहीन शान्ति में अपना जीवन-यापन करें
 - छोटी-छोटी बातों पर जहाँ उत्पात होता है वहाँ मेरे गीतों का मूल्य नहीं
 - प्रणय! तुम्हारी हँसी तुम्हारी आन्तरिक व्यथा की अभिव्यक्ति है
 - मैं तो एक नटखट ग्वाल-बाल होना चाहता हूँ
 - प्रेम एक है, रहस्य दो हैं–एक तुम्हारा और दूसरा मेरा
 - बताओ! ऐसे पाना चाहती हो अपने भाग्य-देवता को
 - यद्यपि बड़ी अटपटी हो और मुझसे दूर भागने वाली हो
 - अंधकार ही पसंद है तो अंधकार में बैठकर ही मेरा गीत सुनो
 - सब कुछ तो तुम्हें समर्पित है! अब है ही क्या अवशेष मेरे पास?
 - एक शान्त संसार अग्नि की ज्वाला में जल रहा है पर जीवित है
 - जीवन की इस निराशा में क्या तो तुमसे कह दूँ और क्या तुम समझ सकोगी
 - अव्यक्त प्रेम की तीक्ष्ण वेदना से ही तो बसंत के पुष्प खिलते हैं
 - वह मेरा साथ छोड़ गई पर मेरा प्रेम अब भी मेरे साथ है *
 - जब तुम मुझे उपहार दो, तो सुख न देना। मैं दुःख का पुजारी हूँ
 - मैं चाहता हूँ–मैं अकेला ही रहूँ। कोई रहने ही नहीं देता
 - दूसरी माला बना दूँगा, पर प्रतीक्षा तो करो न, नटखट!
 - सच्चा प्रेमिल-हृदय रखने वाली प्रेमिका स्वप्न को नहीं भेजती
 - जीवन-बंधन में प्रेम है–संगीत है और जीवन के सच्चे दर्शन हैं
 - स्वतंत्रता के लिए आत्म-विनाश भी सहर्ष स्वीकार करो।
 - पुष्प भी जलते हैं और चिड़ियाँ भी गीतों में अपने को खो देती हैं
 - वह ‘चितेरा’ बड़ा चतुर है जो छिपकर हमारी सब बातों को देख लेता है
 - मुझे पाने के लिए तुम्हें अपने को छोड़ना होगा
 - उसका रोना मेरे हृदय में रो-रोकर मुझसे कुछ कहता है।
 - अपनी गहनता में स्मृति के खो जाने को विस्मृति कहते हैं
 - तुम कितनी ही दूर खड़ी हो जाओ पर मैं तुम्हें देख सकता हूँ
 - तुम्हारी मृत्यु ने मुझे पूर्णता की ओर बहा दिया
 - यदि प्रेम-देव की उपस्थिति में ही एक दूसरे को पा सकें तो अच्छा है
 - ना हमारा अपने ही पर अधिकार है न अपने घर पर
 - मेरे चरणों की पुजारिन कितनी अच्छी है
 - कुछ खोकर भी कुछ पा लिया जाता है
 - तुम किस स्वर्ग को खोज रहे हो? वही न जो तुम्हारे पास है
 - इस महा निराशा में केवल आशा ही जीवन का सहारा है
 - माया रूपी सौन्दर्य! कितने बड़े हो पर छोटे होकर रहते हो, ऐं!
 - उसके नयन मेरे जीवन से ज्योति पीकर इठलाते हैं
 - योगी-युवक
 - मेरा हृदय कहाँ से अपनी पुकार सुनता है
 - जब तुझे देखता हूँ तभी तुझे अपने को देखते हुए पाता हूँ।
 - जीवन का दिन बीत चुका अब जीवन की संध्या आ गई
 - मुख न मोड़ो मेरे नाथ! अब तो स्वीकार कर ही लो
 - तेरे आने की दुःखमय प्रतीक्षा को लिए बैठा हूँ–शान्त होकर
 - मेरे प्रेम पर तूने विश्वास नहीं किया, तूने मुझे जलाकर देखा
 - प्रभु! अभी तक मुझे मुक्त करने का विचार तुम्हारे मस्तिष्क में नहीं आया।
 - प्रेम का डोरा किसी दिन जीवन और मृत्यु को एक बना देगा
 - मेरे हृदय की वेदना में संसार के हृदय की वेदना परिलक्षित है
 - मुझे नासमझ जान कर ही तू मुझ पर अपने प्रेम की बौछार करती है
 - तीक्ष्ण वेदना में भी मधुर मादकता है
 - मानव बस प्रतीक्षा करता रहे, फिर प्रतिज्ञा स्वयं पूर्ण हो जायेगी
 - शुभ मिलन का क्षण कहाँ स्थित नहीं है
 - आराधना प्रेम की सबसे ऊँची सीढ़ी है और सबसे पहली भी
 - सब सुप्त हैं पर फिर भी कोई स्वयं जागकर सबको जगा रहा है
 - तुम्हारा अपमान किया था, अब तुम्हीं को बुलाता हूँ
 - उन पुष्पों के मध्य मुझे जन्म दो, जो तुम्हारी आराधना करते हैं, देव!
 - अपूर्णता क्या है, खोना क्या है, मुर्झाना क्या है,–कुछ नहीं
 - तुम यह पूछ रहे हो ‘मैं क्यों दुखी हूँ’
 - कोई मेरे और तेरे सम्बन्ध को तोड़ता है–कोई उसी को जोड़ता है
 - चारों ओर अंधकार देखकर ही तो तुमसे हाथ पकड़ने को कहा है
 - जीवन की अन्तिम विजय मृत्यु है
 - मैं हार जाऊँ और तुम्हें अपना स्वामी बना लूँ–इसीलिए युद्ध किया
 - तुम मुझे दुःख देने आये पर मैं तुम्हें अपना सुख समझता हूँ
 - आँख मिचौनी अब अधिक न चले तो अच्छा है
 - यह क्या कम साहस की बात है कि मैं मृत्यु की ललकार को भी स्वीकार कर रहा हूँ?
 - अब तो केवल एक वेदनामय टीस ही हृदय में रह गई है।
 - क्या ऐसा कर भी सकोगे जो मैं तुमसे कह रहा हूँ
 - प्रकृति से हमारे प्रेम प्रफुल्लन में कितना सहारा मिलता है
 - यदि ‘प्रेम’ मेरे लिए नहीं है तो क्यों यह सब प्रेममय दीख रहा है
 - मैं चाहता हूँ तुमसे मिलते समय मेरी आँखों में आँसू हों।
 - एक दिन तुम्हें मुझे जानना ही होगा। क्योंकि बिना जाने तुम नहीं रह सकते
 - न जाने कब और कैसे हृदय में प्रेम जाग्रत हो गया
 - अल्हड़ बनकर जीवन व्यतीत करना क्या अच्छा नहीं होता?
 - बुरा न मानना क्योंकि मैंने हठात् तुझे अपने सहारे के लिये पकड़ लिया था
 - जो याद रखना चाहिए वह याद नहीं रहता, जिसे भूलना चाहिए उसे नहीं भूल पाते
 - अपने को खो देना अपने को पाने से कहीं अधिक सुखद है
 - तुमसे मिलने से पहिले ही न जाने क्या-क्या हो सकता है
 - चाहो तो स्वतंत्रता की रज्जु से बाँध लो पर परतंत्रता की से नहीं
 - उसके रहते हुए भी यदि जीवन सूना है तो क्या किया जाये
 - मैं तो एक भंवरा हूँ जो पुष्प के हृदय तक पहुँच ही जाता है
 - मुझे मुक्त कर दो, बस मेरा यही नारा है
 - यदि कोई न जागे तो उसे जगाओ अवश्य पर चाँटा न मारो
 - अरे! ओ सुप्त! तू भी अपने नेत्रों को खोल और जाग जा
 - देव! सब तुम्हें शीश नवाते हैं, पर मैं तो तुम्हें देखता ही रहता हूँ।
 - मेरे पास कुछ भी नहीं सही, पर फिर भी मैं तुम्हारा स्वागत कर सकता हूँ
 - अरे! तुम तो मुझ भिखारी से भी भिक्षा माँगते हो
 - तेरा एक दैविक चुम्बन मुझे अनन्त असफलताओं से मुक्त कर सकता है
 - जिस हृदय को मैंने खो दिया उसी को उठाकर तूने अपनी गोदी में रख लिया
 - हम केवल प्रेम के आवेश में यह कह देते हैं–कि हम सदैव साथ-साथ रहेंगे
 - हे साहूकार! मेरे पास कुछ नहीं है, बस यह है कि दो हाथ जोड़े खड़ा हूँ
 - मैं प्रेमी को प्रेम से पृथक नहीं कर सकता, अतः प्रेम के साथ प्रेमी भी आये
 - केवल एक क्षण के लिए मेरे नयनों की ओर टकटकी लगाकर देख
 - मेरी इच्छा है–मैं बस तुम्हारी आराधना ही करता रहूँ
 - तू भले ही न माँगे पर तेरे प्रेम के बदले में मुझे कुछ अधिक ही देना पड़ेगा।
 - संसार दूसरों से जाने क्या-क्या कह देता है पर स्वयं से कुछ नहीं कहता
 - अर्धरात्रि का आकर्षण भी मादकता में किसी सौन्दर्य से कम नहीं
 - मेरा आना रोकने के लिये तुमने अपने द्वारों को बन्द कर लिया
 - सर्वेश्वर जब तुम आते हो तब कोई किसी को धक्का नहीं देता
 - तेरे जाने के बाद, तेरी सेवा के बदले में केवल एक दीप जला देते हैं
 - कि-वह सदैव तुम्हारे साथ है–तुम इस बात को न भूलना
 - अपनी कलियों की गोद में सोए हुए पुष्पों को न तो जगाओ और न तोड़ो
 - वही मुझसे न जाने क्या-क्या कहता रहता है और उसी की बात मैं मान लेता हूँ
 - उसे अर्पित करने के लिए मेरे पास केवल एक गीत है
 - यदि कोई मुर्झा कर धूलि में गिर जाये तो इसमें दुःख की बात क्या है
 - निराशा के मध्य रहकर भी समस्त मानव-संसार आशा से प्रेरित होता रहे
 - बचपन के गीतों ने मुझे इस लोक में जिलाया और वही परलोक में भी जिलायेंगे।
 - उस उवसर की खोज में हूँ कब तुम्हारे जीवन के साथ समन्विन हो जाऊँ
 - मैं और मेरे गीत, तेरी और तेरे गीतों की क्या समानता कर सकते हैं
 - मैं प्रतिज्ञा करता हूँ ‘मृत्यु में भी तेरा अनुभव करने का प्रयत्न करूँगा’
 - बचपन, एक बीती हुई बात बन गया–बस एक गीत बन गया जिसे गा चुका हूँ
 - अपना ‘प्रेम’ देने के पश्चात् तुझे फूलों का हार भी पहना दिया, बस
 - सागर भी अपने गम्भीरतम् रहस्य को छिपा नहीं सकता
 - मेरा हृदय तोड़ने में यदि तुझे सुख मिलता है तो निःसंकोच तोड़ दिया कर
 - अतिथि ईश्वर का ही रूप है, अतः मेरे यहाँ अतिथि का स्वागत है
 - पर हाँ, सांसारिक बाधायें मुझे आगे बढ़ने से न रोक सकेंगी
 - जो जीवन सुख का एक क्षण वही अनन्त दुःख का एक युग है
 - तुमने और कुछ तो स्वीकार नहीं किया, मेरा अन्तिम अभिवादन ही स्वीकार कर लो
 
 
						
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