लोगों की राय

नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार

प्रेमी का उपहार

रबीन्द्रनाथ टैगोर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :159
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9839

Like this Hindi book 0

रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद

मानव बस प्रतीक्षा करता रहे, फिर प्रतिज्ञा स्वयं पूर्ण हो जायेगी

मेरे हृदय! अपने विश्वास को दृढ़ रखो क्योंकि निशा के पश्चात दिवस अवश्य आयेगा।

प्रतीक्षा का वह बीज जो मिट्टी की गहनता में तिरोहित है वह कभी-न-कभी अवश्य ही बाहर आकर खिलेगा।

निंदिया जो कली के समान अपने नयनों को मींचे पड़ी है, वह भी प्रकाश के सम्मुख अपने हृदय को खोल देगी और निंदिया के समान निशा की शान्ति प्रकाश की बेला में गूँज उठेगी।

वह दिन अधिक दूर नहीं जब तेरा अपना भार भी तुझे उपहार स्वरूप प्रतीत होने लगेगा। और वह समय भी अधिक दूर नहीं जब तेरी अपनी ही यातनाएँ प्रदीप्त होकर तेरे ही अंधकारमय मार्ग में प्रकाश की रश्मियाँ बिखेर देंगी।

* * *

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai