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प्रेमी का उपहार

रबीन्द्रनाथ टैगोर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :159
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9839

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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद

उन पुष्पों के मध्य मुझे जन्म दो, जो तुम्हारी आराधना करते हैं, देव!

मेरे देव! धूलि से मेरे जीवन को उठाकर अपने सीधे हाथ की हथेली और नेत्रों की छत्रछाया में रखो।

अपने ईश्वरीय प्रकाश में इसे रखे रहो, मेरे देव और जब चाहो मृत्यु की छाया में इसे छिपा लो।

पीपे के समान जिस रात्रि पर तुम्हारे तारागणों की छाया रहती है, बस उसी में मेरे जीवन को भी रख दो और पौ फटते ही मेरे जीवन को उन पुष्पों में छोड़ दो जो तुम्हारी आराधना के लिये खिलने लगते हैं।

* * *

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