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प्रेमी का उपहार

रबीन्द्रनाथ टैगोर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :159
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9839

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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद

अल्हड़ बनकर जीवन व्यतीत करना क्या अच्छा नहीं होता?

एक छोर से दूसरे छोर तक केवल वर्षा ही आकाश के प्रांगण पर झाड़ू देती है।

नम वायु के जंगली झोंकों के कारण चमेली...पुष्प स्वयं अपने को अपनी मलय-श्वास में व्यक्त कर देते हैं।

रात्रि के अन्तःस्थल में एक रहस्यपूर्ण उल्लास स्थित है...और वह इस कारण है कि अवगुण्ठित आकाश किन्हीं अज्ञात् तारों में जाकर छिप गया है..और हाँ, इस कारण है कि अर्धरात्रि का वनोल्लास छोटी-छोटी चिड़ियों के गीतों में जाकर लुप्त हो गया है।

अतः अपने हृदय को उसी उल्लासमयी मादकता में भरकर मैं दिवस की प्रकाशमयी बेला में विचरण करना चाहता हूँ।

* * *

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