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आचार्य श्रीराम शर्मा >> संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र

संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :67
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9843

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मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है


जब भारतीय संस्कृति के अनुकूल शिष्टाचार के नियमों की बात करते हैं, तो उनमें से कुछ का वर्गीकरण इस प्रकार से कर सकते हैं।

धार्मिक, नैतिक और चारित्रिक शिष्टाचार

( 1 ) प्रत्येक धर्म का सम्मान करना हमारा कर्त्तव्य है। किसी के धार्मिक रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप करना अमानवता का चिह्न है।

( 2 ) जिस समय कोई व्यक्ति ईश्वरोपासना या किसी प्रकार के धार्मिक जप-पाठ आदि में लगा हो, उस समय उससे बोलना या टोकना उचित नहीं।

( 3 ) कितने ही व्यक्ति 'सीताराम', 'राधेश्याम', 'शिव-शिव' आदि नामों को बड़े जोर से चिल्लाकर बोल उठते हैं। खासकर घंटा, दो घंटा रात रहते ही जब अधिकांश व्यक्ति सो रहे हों, शोर करना उचित नहीं है।

( 4 ) शरीर से कार्यक्षम होते हुए बिना परिश्रम के माँगकर खाना बहुत बुरा है।

( 5 ) किसी भिखारी को यदि भीख देना उचित न समझें, तो उसे सीधी तरह मना कर देना चाहिए।

( 6 ) धार्मिक स्थानों के पास शांति और सदाचार का वातावरण बनाए रखना चाहिए।

( 7 ) सूर्योदय के पूर्व शैया त्याग करना भारतीय संस्कृति का एक स्वर्णिम नियम है, जिससे स्वास्थ्य के अतिरिक्त मनुष्य की मानसिक और आध्यात्मिक वृत्तियों भी उच्च बनती हैं।

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