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शनिवार व्रत कथा

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :13
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9844

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शनि की दशा में दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता है। शनिस्तोत्र का पाठ भी विशेष लाभदायक सिद्ध होता है।


शनिवार की आरती


जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज  के  पुत्र  प्रभु  छाया  महतारी ।। जय जय...

श्याम अंक  वक्र  दृष्टि  चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की अवसारी ।। जय जय...

क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की  माला गले  शोभित बलिहारी ।। जय जय...

मोदक   मिष्ठान   पान   चढ़त   है  सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ।। जय जय...

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ।।

* * *


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