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उपराग  : पुं० [सं० उप√रञ्ज्+घञ्] १. रंग। २. भोग-विलास या विषयों में होनेवाला अनुराग। ३. आस-पास की वस्तु पर पड़नेवाला आभास या छाया। ४. चंद्रमा, सूर्य आदि का छायाग्रस्त होना। ग्रहण। ५. व्यसन। ६. निद्रा। उदाहरण—भयउ परब बिनु रबि उपरागा।—तुलसी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपराग  : पुं० [सं० उप√रञ्ज्+घञ्] १. रंग। २. भोग-विलास या विषयों में होनेवाला अनुराग। ३. आस-पास की वस्तु पर पड़नेवाला आभास या छाया। ४. चंद्रमा, सूर्य आदि का छायाग्रस्त होना। ग्रहण। ५. व्यसन। ६. निद्रा। उदाहरण—भयउ परब बिनु रबि उपरागा।—तुलसी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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