शब्द का अर्थ
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कचक :
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स्त्री० [हिं० ‘कच’] १. अंग या शरीर में लगनेवाली ऐसी चोट जिससे चमड़े या मांस को कुछ क्षति पहुँचे। २. हड्डी आदि का अपने स्थान से जरा-सा हट-बढ़ जाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कचकच :
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स्त्री० [अनु०] व्यर्थ का झगड़ा या बकवाद। जैसे—हमें हर समय की कचकच अच्छी नहीं लगती। |
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कचकचाना :
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अ० [अनु० कचकच] १. कचकच शब्द करना। २. धँसाने या चुभाने का शब्द करना। अ० =किचकिचाना। |
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कचकड़ :
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पुं० [हि० कच्छ=कछुवा+सं० कांड=हड्डी] १. कछुए का ऊपरी कड़ा और मोटा आवरण। खोपड़ी। २. ह्रेल आदि बड़ी-बड़ी मछलियों की हड्डी जिससे खिलौने आदि बनते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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कचकना :
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अ० [हि०कचक+ना (प्रत्यय)] १. किसी अंग या वस्तु का दब जाना या कुचल जाना। २. दरार पड़ना। ३. टूटना-फूटना। स०=कुचलना। |
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कचकाना :
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स० [हि० कचकना] १. किसी अंग या वस्तु को इस प्रकार कुचलना, दबाना या मसलना कि वह टूट-फूट या विकृत हो जाय। २. धसाँना या भोंकना। |
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कचकेला :
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पुं० =कठकेला। |
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कचकोल :
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पुं० [फा० कशकोल] दरियाई नारियल का बना हुआ कमंडल या पात्र जिसमें साधु आदि भिक्षा लेते हैं। |
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