शब्द का अर्थ
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चढ़न :
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स्त्री० [हिं० चढ़ना] चढ़ने या चढ़ाने की क्रिया या भाव। चढ़ाई। २. देवताओं पर चढ़ाया हुआ धन आदि। चढ़ावा। चढ़त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
चढ़नदार :
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पुं० [हिं० चढ़ना+फा० दार (प्रत्य०)] वह मनुष्य जिसे व्यापारी गाड़ी, नाव आदि पर चढ़ाकर माल के साथ उसकी रक्षा के लिए भेजते हैं। (लश०) |
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समानार्थी शब्द-
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चढ़ना :
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अ० [सं० उच्चलन या चलन, प्रा० उच्चउन, चड्ढन] १. केवल पैरों की सहायता से यों ही अथवा हाथों का सहारा लेते हुए ऊपर बढ़ना। जैसे–(क) आदमियों का पहाड़ या सीढियों पर चढ़ना। (ख) गिलहरियों या बंदरों का पेड़ों पर चढ़ना। २. कहीं चलने या जाने के लिए यों ही किसी चीज, जानवर, सवारी आदि के ऊपर बैठना या स्थित होना। आरोहण करना। जैसे–(क) घोड़े, झूले, नाव, पालकी या रेल पर चढ़ना। (ख) किसी का गोद अथवा कंधे, पीट, सिर आदि पर चढना। ३. किसी विशिष्ट उद्देश्य से और जान-बूझकर चल या जाकर पहुँचना। जैसे–(क)मुकदमा चलाने के लिए कचहरी चढ़ना। (ख) मार-पीट करने के लिए किसी के घर या दूकान पर चढना। (ग) युद्ध करने के लिए शत्रु के देश पर चढ़ना। मुहावरा–(किसी पर) चढ़ बैठना=किसी को पूरी तरह से अपने अधीन करते हुए विवश कर देना। ४. किसी प्रकार के क्रमिक विकास में ऊपर की ओर अग्रसर होना या आगे बढ़ना। जैसे–(क) लड़कों का दरजा चढ़ना। (ख) दिन या वर्ष चढ़ना। (ग) ताप-मापक यंत्र का पारा चढ़ना। ५.किसी चीज का मान, मूल्य आदि बढ़ना। जैसे–(क) गाने-बजाने में स्वर चढ़ना। (ख) बाजार में चावल या चीनी के दाम (या भाव) चढ़ना। मुहावरा–(किसी की) चढ़ बनना=यथेष्ट प्रभाव, सफलता आदि के कारण किसी का महत्व या मान बहुत बढ़ जाना। जैसे–मंत्री हो जाने पर अब तो उनकी और भी चढ़ बनी है। ६. देवी-देवताओँ आदि के सामने श्रद्धा-भक्ति से निवेदित और समर्पित किया जाना। जैसे–(क) मंदिर में दक्षिणा या मिठाई चढ़ना। (ख) देवी के आगे बकरा या भेंट चढ़ना। ७. किसी प्रकार या रूप से ऊपर की ओर उठना, खिंचना, तनना या बढ़ना। जैसे–(क) गुड्डी का आसमान में चढ़ना। (ख) तालाब या नदी का पानी चढ़ना। (ग) कुरते की आस्तीन या पायजामें का पाँयचा चढ़ना। ८. एक चीज का दूसरी चीज पर टाँका, बैठाया, मढ़ा, रखा या लगाया जाना। स्थापित या स्थित किया जाना। जैसे–(क) साड़ी पर गोटापट्ठा या बेल चढ़ना। (ख) चूल्हे पर कड़ाही या तवा चढ़ना। (ग) किताब पर जिल्द, तकिये पर गिलाफ या तसवीर पर चौखटा और शीशा चढ़ना। ९. किसी प्रकार की प्रक्रिया से किसी चीज के ऊपरी तल या भाग पर पोता फैलाया या लगाया जाना। जैसे–(क) कपड़े या दरवाजे पर रंग चढ़ना। (ख) बिजली की सहायता से चाँदी पर सोना चढ़ना। १॰. ग्रहों, नक्षत्रों आदि का उदित होकर आकाश में ऊपर आना या उठना। जैसे–चंद्रमा या सूर्य चढ़ना। ११. कुछ विशिष्ट प्रकार के बाजों की डोरी, तार, बंधन आदि का आवश्यकता से अधिक कड़ा या कसा होना, जिसके फलस्वरूप ध्वनि या स्वर अपेक्षया अधिक ऊँचा या तीव्र होता है। जैसे–तबला या सारंगी चढ़ना। १२. किसी प्रकार की क्रिया या प्रक्रिया का आरंभ, संचार या संपादन होना। जैसे–बुखार चढ़ना, रसोई चढ़ना। १३. कुछ विशिष्ट प्रकार की दशाओं, मनोवेगों आदि का उत्कट या तीव्र रूप धारण करते हुए प्रत्यक्ष या स्पष्ट होना। जैसे–(क) जवानी, नशा या मस्ती चढ़ना। (ख) उमंग, गुस्सा, दिमाग, शेखी या शौक चढ़ना। १४. बही खाते आदि के नामों, रकमों आदि का यथा स्थान अंकित होना या लिखा जाना। जैसे–(क) रजिस्टर पर नाम चढ़ना। (ख) बही में हिसाब चढ़ना। |
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