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चाशनी  : स्त्री० [फा०] १. खाने के पहले चखकर देखी जानेवाली चीज या उसका कोई अंश। खाने की चीज का नमूना। २. गुड़, चीनी, मिसरी आदि के घोल को पकाकर गाढ़ा किया हुआ वह रूप जिसमें दवाएँ पकवान, मिठाइयाँ आदि पागी जाती हैं। शीरा। मुहावरा–चाशनी देखना=शीरा पकाने के समय यह देखना कि चाशनी ठीक तरह से तैयार हो गई है या नहीं। ३. किसी चीज का वह थोड़ा सा अंश जो किसी दूसरी चीज में उसका स्वाद बढ़ाने के लिए मिलाया जाय। जैसे–पीने के तमाकू में मिलाई हुई खमीर की चाशनी। ४. किसी चीज या बात का ऐसा आनंद मजा या स्वाद जो उक्त बात के प्रति लालसा उत्पन्न करे। चस्का। जैसे–जब तुम्हें अफीम (या शराब) की चाशनी मिल गई है, तब तुम उसे जल्दी नहीं छोड़ोगे। ५. चाँदी, सोने आदि का वह थोड़ा सा अंश जो सुनारों को गहने बनाने के लिए देने से पहले इसलिए अपने पास रख लिया जाता कि कि जब गहना बन जाय तब उससे मिलाकर देखा जा सके कि सुनार ने उसमें किसी तरह का खोट तो नही मिलाया है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चाशनीगीर  : पुं० [फा०] वह कर्मचारी जो नावाबों और बादशाहों के यहाँ उनके खाद्य पदार्थ पहले चखकर देखने के लिए नियुक्त होता था।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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