शब्द का अर्थ
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ढुर :
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अव्य-घुर। (ठिकाने तक)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ढुर-ढुर :
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वि० [?] १. साफ सुथरा। २. चिकना। |
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समानार्थी शब्द-
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ढुरकना :
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अ० [हिं० ढार] १. लुढ़कना। २. झुकना। ३. प्रवृत्त होना। ४. अनुकूल या प्रसन्न होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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ढुरकी :
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स्त्री० [हिं० ढुरकना] ढुरकने की क्रिया या भाव। स्त्री=ढुरकी (करघे की)। |
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समानार्थी शब्द-
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ढुरन :
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स्त्री० [हिं० ढुरना] ढुरने की अवस्था, क्रिया या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
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ढुरना :
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अ० [हिं० ढार] १. नीचे की ओर प्रवृत्त होना। अनुकूल या प्रसन्न होना। ३. कभी इधर और कभी उधर गिरना, झुकना या लुढ़कना। जैसे–किसी के सिर पर चँवर ढुरना। ४. लुढ़कना। ५. ढलकना। |
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ढुरहरी :
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स्त्री० [हिं० ढुरना] १. बार-बार इधर-उधर ढुरने या हिलने-डोलने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. नथ में लगी हुई सोने के गोल दानों, मोतियों आदि की पंक्ति जो प्रायः इधर-उधर लुढ़कती रहती है। ३. ढुर्री। पगदंडी। |
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ढुराना :
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स० [हिं० ढुरना का स०] १. ढुरने अर्थात् नीचे की ओर गिरने जाने आदि में प्रवृत्त करना। ढलकाना। २. बार-बार इधर उधर हिलने-डोलने में प्रवृत्त करना। जैसे–चँवर ढुराना। ३. लुढ़काना। |
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ढुरावना :
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स०=ढुराना। |
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ढुरुआ :
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पुं० [हिं० ढुरना] गोल मटर। केराव मटर। |
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ढुरुकना :
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अ०=ढुलकना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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ढुर्री :
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स्त्री० [हिं० ढुरना] खेतों, जंगलो, पहाड़ों आदि में का वह पतला रास्ता जो लोगों के चलते रहने या आने-जाने से आप से आप रेखा के रूप में बन जाता है। पगदंडी। |
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