| शब्द का अर्थ | 
					
				| तेवर					 : | पुं० [सं० त्रिकुटी, पुं० हिं० तिउरी] १. किसी विशिष्ट उद्देश्य या भाव से किसी की ओर फेरी जानेवाली या किसी पर डाली जानेवाली दृष्टि त्योरी। जैसे–उनके तेवर देखकर ही मैंने उनके मन का भाव समझ लिया था। मुहावरा–तेवर चढ़ना-भौंहों का इस प्रकार ऊपर की ओर खिंचना कि उनसे कुछ-कुछ क्रोध या नाराजगी झलकने लगे। केवर बदलना या बिगड़ना-व्यवहार में क्रोध या रूखाई प्रकट करना। २. भौंह। भुकुटी। पुं० [हिं० तीन] स्त्रियों के पहनने के तीन कपडों (साड़ी, ओढ़नी और चोली) की सामूहिक संज्ञा। | 
			
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				| तेवरसी					 : | स्त्री० [देश०] १. ककड़ी। २. खीरा। ३. फूट। | 
			
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				| तेवरा					 : | पुं० [देश०] दून में बजनेवाला रूपक ताल। | 
			
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				| तेवराना					 : | अ० [हिं० तेवर+आना (प्रत्यय)] १. तेवर का इस प्रकार ऊपर की ओर खिंचना कि उससे कुछ आश्चर्य क्रोध या चिन्ता प्रकट हो। २. बेसुध या मूर्च्छित होना। | 
			
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				| तेवरी					 : | स्त्री०=त्योरी। | 
			
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