शब्द का अर्थ
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धमक :
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स्त्री० [हिं० धमकना] १. धमकने की क्रिया या भाव। २. किसी भारी चीज के जमीन पर गिरने के कारण होनेवाला वह धम शब्द जिसके साथ जमीन में हलका कंपन भी हो। जैसे—फरश पर किसी चीज के गिरने या किसी के चलने से होने वाली धमक। ३. वह कंप जो भारी चीज के गिरने, चलने आदि से आस-पास के स्तर पर होता है। जैसे—रेल के चलने से आस-पास की जमीन में होनेवाली धमक। ४. आघात। प्रहार। ५. रोग, विकार आदि के कारण शरीर के किसी अंग में होनेवाला हलका कष्ट-दायक कंप या संवेदन। जैसे—बुखार के कारण सिर में (या सारे शरीर में) होनेवाली धमक। ६. रास्ते में पड़नेवाला गड्ढा। (पालकी ढोने वालों की परिभाषा में) वि० [सं०] [स्त्री० धमिका] धौंकनेवाला। पुं० लोहार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धमकना :
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अ० [हिं० धमक] १. गिरने के कारण धम शब्द होना। २. उक्त प्रकार के शब्द के कारण कुछ-कुछ काँपना या हिलना। ३. सहसा भारी बोझ पड़ने से हिलते हुए दबना। उदा०—चरण भार से सुदृढ़ धरा कँप गई धमक कर।—मैथलीशरण। ४. यौगिक क्रिया के रूप में, आना और जाना क्रियाओं के साथ लगने पर वेगपूर्वक इस प्रकार गमन करना कि लोग कुछ डरकर सहम जाएँ। जैसे—इतने में पुलिस वाले वहाँ आ धमके। ५. रह-रहकर हलका आघात और उसके कुछ साथ कंप-सा होता हुआ जान पड़ना। जैसे—बुखार में सिर धमकना। स० इस रूप में आघात करा या दंड देना कि वह कुछ अनुचित या उग्र-सा जान पड़े। जैसे—(क) उन्होंने बिना सोचे-समझे उसे एक मुक्का धमक दिया। (ख) अदालत ने उन्हें सौ रुपये जुर्माना धमक दिये। स०= धौंकना।a |
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समानार्थी शब्द-
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धमका :
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पुं० [सं० धमा] उमस। गरमी। उदा०—धमका विषम ज्यौं न पात खरकत हैं।—सेनापति। |
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धमकाना :
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स० [हिं० धमकी+आना (प्रत्य०)] यह कहना कि यदि तुम ऐसा काम करोगे (अथवा अमुक काम न करोगे) तो हम तुम्हें अमुक प्रकार का कष्ट या दंड देंगे। |
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धमकी :
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स्त्री० [हिं०] वह बात जो किसी को धमकाते हुए कही जाय। इस प्रकार का कथन कि यदि तुम आगे ऐसा करोगे (अथवा अमुक काम न करोगे) तो हम तुम्हें अमुक प्रकार का कष्ट या दंड देंगे। क्रि० प्र०—देना। मुहा०—(किसी की) धमकी में आना=किसी के धमकाने या धमकी देने पर उससे डरते हुए उसके अनुकूल आचरण या व्यवहार करना। |
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धमक्का :
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पुं०=धमाका।a |
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