शब्द का अर्थ
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धृष्ट :
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वि० [सं०√धृष्+क्त] [भाव० धृष्टता] १. बड़ों के समक्ष लज्जा या संकोच त्यागकर ओछा या बेहूदा काम करनेवाला। २. ऐसा काम करनेवाला जिससे बड़ों के सम्मान को कुछ धक्का लगता हो। ३. जो अनुचित काम करने से भयभीत या संकुचित न होता हो दुस्साहसी। पुं० १. साहित्य में, वह नायक जो बार-बार वही काम करता हो। जिससे प्रेमिका खिन्न होती हो और मना किये जाने पर भी न मानता हो। २. चेदिवंशीय कुंति का पुत्र। (हरिवंश) ३. सातवें मनु का एक पुत्र। ४. अस्त्रों का एक प्रकार का प्रतिकार या संहार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धृष्टकेतु :
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पुं० [सं०] १. चेदि देश के राजा शिशुपाल का एक पुत्र जिसका वध द्रोणाचार्य ने महाभारत के युद्ध में किया था। २. नवें मनु रोहित के पुत्र। ३. जनक सुध्वति वंशीय के पुत्र। |
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धृष्टता :
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स्त्री० [सं० धृष्ट+तल्—टाप्] १. धृष्ट होने की अवस्था या भाव। २. स्वभाव की ऐसी उद्दंडता जो शील—शंकोच के अभाव के कारण होती है। ३. धृष्ट बनकर किया जानेवाला आचरण या व्यवहार। ४. बड़ों के सामने किया जानेवाला ओछा या बेहूदा आचरण गुस्ताखी। |
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धृष्टद्युम्न :
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पुं० [सं०] राजा द्रुपद का एक पुत्र, जिसने पिता का बदला चुकाने के लिए महाभारत के युद्ध में द्रोणाचार्य का वध किया था। |
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धृष्टा :
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स्त्री० [सं० धृष्ट+टाप्] दुश्चरित्रा स्त्री। वि० ‘धृष्ट’ का स्त्री०। |
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धृष्टि :
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पुं० [सं०√धृष्+क्तिच्] १. एक प्रकार का यज्ञ-पात्र। २. हिरण्याक्ष का एक पुत्र। ३. दशरथ का एक मंत्री। |
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